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हारते हम नहीं,
हारते हैं
हमारे सपने।
हम क्यूँ देते,
इतनी अहमियत,
अपने सपनों को।
सपने सच नहीं,
सच है ये ,
इक, मृगतृष्णा,
इक भँवर।
और, उस भँवर में,
फँसे हम,
न जाने किस राह निकल पड़ते ??
सपने रोज़ बदलते,
अपना रंग-रुप
इक बहुरुपिए की तरह।
न कोई आकार,
ना कोई रंग-रुप
बस हवा में तैरते रहते हैं,
ये सपने॥
#डॉ. सरिता नारायण
परिचय : डॉ. सरिता नारायण की जन्मतिथि-२४नवम्बर १९५६ एवं जन्म स्थान-पटना (बिहार) है। आपका राज्य-बिहार ही है,पर करीब ४ साल से पूना में हैं। आपकी शिक्षा-एमबीबीएस और डीजीओ है। कार्यक्षेत्र में आप अभ्यासी चिकित्सक हैं। ऐसे ही सामाजिक क्षेत्र में भी संस्थाओं से जुड़ी हुई हैं। ‘अनूगूंज’ एकल हिन्दी कविता संग्रह निक़ल चुका है तो सम्मान में शब्द सुगंध सम्मान प्राप्त हुआ है। आपने चिकित्सा के क्षेत्र में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-मन में उठ रहे विचारों को लिखकर मन को हल्का करना और समाज की कुरीतियों को पाठक तक पहुँचाना है।
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Tue Sep 19 , 2017
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सच एक कटु सत्य हैं हमारे सपने, बधाई बडी़ बहन सरिता जी