सताते रहे…

0 0
Read Time2 Minute, 0 Second
 bekhabar
दास्ताँ  दर्दे   दिल  की सुनाते  रहे।
वो  हमें   देखकर   मुस्कराते  रहे।
टूटकर के बिखरने से क्या फायदा।
ये  गलत है  उन्हें हम सिखाते  रहे।
जब कभी देखा गम़गीन मैंने उन्हें।
आँख  में अश्क अपने  छुपाते रहे।
हम शिकायत करें भी तो किससे करें।
जब  खुदा खुद ही मुझको सताते रहे।
याद में हम उन्हीं के तो शायर बने।
गा सके  न  ग़ज़ल  गुनगुनाते  रहे।
‘बेखबर’ को खबर हर पल की जो थी।
इन  पलों  मे  वो  सपने   सजाते  रहे।
                                                                                    #विनोद कुमार गुप्ता
परिचय: बेखबर देहलवी यानि विनोद कुमार गुप्ता लम्बे समय से लेखन क्षेत्र में सक्रिय हैं और नए रचनाकारों को सिखाते भी हैं। बेख़बर देहलवी साहित्यिक उपनाम रखने वाले श्री गुप्ता की शिक्षा बी.ए. है। आपका जन्म-१५ नवम्बर १९८१ में स्थान-सिकन्दपुर (बलिया,उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप दिल्ली में निवासरत हैं। खुशहाल परिवार में रहने वाले बेखबर देहलवी की रचनाओं का प्रकाशन देश के विभिन्न समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में हो चुका है। बतौर रचनाकार आपको-गगन स्वर हिन्दी सेवी सम्मान,हयूमिनिटी अचीवर्स अवार्ड,रंगायन सम्मान,काव्य रत्न व राष्ट्रीय सहित प्रादेशिक एवं स्थानीय स्तर पर भी बहुत सारी संस्थाओं से सम्मान मिला है। देशभर में बहुत सारे मंचों से आप काव्य पाठ कर चुके हैं और ब्लॉग पर भी कलम चलाते हैं। आपकी सम्प्रति दिल्ली में लेखा प्रबंधक की है। 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जिंदगी

Mon Aug 28 , 2017
जिंदगी की गाड़ी को किस कदर,चलाना पड़ता है, निकालकर पहिए खुद जुट,जाना पड़ता हैं। कहीं सफर में खुशी मिले, कहीं राह में ग़म। रोते-रोते हमको पल में,मुस्कुराना पड़ता है। बड़ी नाजुक-सी डोर है,जीवन में रिश्तों की, हर ताना-बाना सलीक़े से,सजाना पड़ता है। कठपुतली की तरह,जी रहे हैं जीवन अपना, जाने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।