महंगी दालें क्यों रोज रुलाती। सब्जी दूर खङी मुंह चढाती।। अब सलाद अय्याशी कहलाता है, महंगाई में टमाटर नहीं भाता है, मिर्ची बिन खाए मुंह जलाती।। मिट्ठे फल ख्वाबों में ही आते हैं, आमजन इन्हें नहीं खरीद पाते हैं, खरीदें तो नानी याद है आती।। कङवे करेलों के सब दर्शन […]

ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया। ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है, ससुराल जाने से कन्या का इंकार है, क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।। बिकने को तैयार लङके हर तरह से, मांगें मोटर कार अङके हर तरह से, हर नौजवान […]

कवि होना नहीं है साधारण अपेक्षित हैं उसमें असाधारण विशेषताएं मात्र कवि होना ही बहुत बड़ी बात है लेकिन फिर भी आत्मश्लाघा के मारे लगते हैं नवाजने खुद को ही राष्ट्रीय कवि वरिष्ठ साहित्यकार के खिताबों से नाम के आगे-पीछे लगा लेते हैं ऐसे उपनाम जिन पर स्वयं नहीं उतरते […]

बहुत कठिन है वास्‍तविक होना कठिन ही नहीं असंभव है वास्‍तविक होना वास्‍तविक हम या तो बचपन में होते हैं या अपने जीवनसाथी के पास होते हैं असल में जीवनसाथी के पास भी वास्‍तविक होने में बहुत से पहलू रह जाते हैं अपने बच्चों व माता-पिता के समक्ष पूरी तरह […]

वो उसे कहते हैं घर मात्र दीवार और छत ही हैं फिर भी उसे कहते हैं घर पिता है निठल्ला शराबी माता है करती मजदूरी बच्चे हैं बालमजदूर चूहे भी हैं आवाज की तलाश में फिर भी उसे कहते हैं घर #विनोद सिल्ला   जीवन परिचय   विनोद सिल्ला  माता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।