जिंदगी

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rani soni
जिंदगी की गाड़ी को किस कदर,चलाना पड़ता है,
निकालकर पहिए खुद जुट,जाना पड़ता हैं।
कहीं सफर में खुशी मिले, कहीं राह में ग़म।
रोते-रोते हमको पल में,मुस्कुराना पड़ता है।
बड़ी नाजुक-सी डोर है,जीवन में रिश्तों की,
हर ताना-बाना सलीक़े से,सजाना पड़ता है।
कठपुतली की तरह,जी रहे हैं जीवन अपना,
जाने कौन-सी डोर को,खींच जाना पड़ता है।
किसी के सुर अलग है,किसी की राग अलग है,
परिवार है सबके साथ,ताल मिलाना पड़ता है।
खुशियों में मुस्कुराकर,गम को गले लगाकर,
जीवन का हर फ़र्ज़,यूं ही निभाना पड़ता है।
चाहे जितनी ऊंची, उड़ान भर ले तू इंसान,
नजरों को तो जमीं पर ही,टिकाना पड़ता है।
अपना-अपना कहने वाले,चारों और मिलेंगे तुमको,
कहती है दुनिया आफ़त में,गधे को बाप बनाना पड़ता है।
नहीं रहती जीवनभर साथ,छाया बूढ़े बरगद की,
कुछ तो जीवन को तेज किरण से,झुलसाना पड़ता है।
खाली पेट रहकर सजाया,जो आशियाँ अपना,
खाली हाथ ही एक दिन,निकल जाना पड़ता है।
आती माँ, अपना दामन ओढ़ाने को,
‘रानी’ काँटों से दामन,खुद ही बचाना पड़ता है।
                                                                 #रानी सोनी(चन्दा)
परिचय: रानी सोनी(चन्दा) की जन्मतिथि-८ जून १९७६ एवं जन्म स्थान-रतनगढ़(राजस्थान) है। आप राजस्थान के शहर-रतनगढ़ से ही हैं। वर्तमान में जयपुर में रहती हैं। प्रारम्भिक शिक्षा हासिल की है,और इसके बाद आपका कार्यक्षेत्र गृहिणी है। आप स्वतंत्र लेखन में रुचि रखकर सक्रिय हैं। एक किताब में आपकी 6 रचनाओं को स्थान मिला है तो एक कविता को सांत्वना पुरस्कार भी मिल चुका है। लेखन का उद्देश्य-अपने मन के भावों को बाहर लाना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।