खुद से मिलना चाहता हूँ..

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rishabh radhe
ज़रा तुम मेरे पास आओ,
तुमसे मिलना चाहता हूँ।
तेरी सागर-सी आँखों में,
खुद को देखना चाहता हूँ॥
तेरे लबों की मदिरा में,
आज डूब जाना चाहता हूँ।
शराब पीकर बहका नहीं,
आज बहकना चाहता हूँ॥
तेरे आगोश में आकर,
तुझमें मिलना चाहता हूँ।
तुम मुझे खत लिख दो,
खुद को पढ़ना चाहता हूँ॥
तेरे शब्दों के जादू में,
खुद को देखना चाहता हूँ।
तुममें सब कुछ भूल गया हूँ,
मैं खुद से मिलना चाहता हूँ॥
तेरे ख्यालों के दर्पण में,
सजना-संवरना चाहता हूँ।
वो लिहाफ रोज बदलता था,
उनको रोज बदलना चाहता हूँ॥
बहुत लिख चुका साथी तुझे,
दिन-रात लिखते-लिखते।
आज खुद को कागज पर,
उतरते देखना चाहता हूँ॥
गुलाब जैसी रंगीन स्याही में,
मोहब्बत भारी कलम डुबोकर।
कैसे लिखते हैं किसी को,
वैसे ही लिखते देखना चाहता हूँ॥
किसी सुर के सुरीले अंदाज में,
ग़ज़ल,गीत,दोहा के जरिए।
तुम मुझे खत लिख दो,
खुद को गुनगुनाना चाहता हूँ॥
जैसे कल्पना में अंजुम लिखता हूँ,
वैसे ही आसमां बनाना चाहता हूँ।
तेरे ख्यालों के पंखों को ले,
उन्मुक्त गगन में ऊँची उड़ानें चाहता हूँ॥
शायरी बनकर तेरे इन लबों से,
मैं झलकना चाहता हूँ।
तेरे ख्यालों में,इस खत में,
मैं तेरा दूल्हा बनना चाहता हूँ॥
अनोखे अंदाज में साथिया,
तुमसे मिलना चाहता हूँ।
तुम अपने बालों को फैला दो,
मैं खोकर इनमें उलझना चाहता हूँ॥
बहुत अंधेरे में काटी है रातें,
बालों से छनकर आती चाँदनी में।
चाँद के साज पर गुनगुनाती चाँदनी से,
मिलकर बिखरना चाहता हूँ॥
तेरी ग़ज़लों में हवा का झोंका बन,
तेरी सांसों में समाना चाहता हूँ।
मेरे परवर दिगार मुझे हवा बना,
सांस बन काम आना चाहता हूँ॥
                                                                       #ऋषभ तोमर(राधे)

परिचय : ऋषभ तोमर(राधे) मध्यप्रदेश के शहर अम्बाह (जिला मुरैना) में रहते हैंl इनकी आयु २० वर्ष है,और लिखने का शौक रखते हैंl 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।