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नींद न आई रात भर
दीए जलाए जाग कर,
मन का कानन रहा भींगता
सुधियों की बरसात में
दीप सुलगता रहा दर्द में
शलभों की पीड़ाएं सहकर,
रजनी की आँखें पथराई
अरमानों के आँसू पीकर।
मेरी पीड़ा नील गगन के
आंगन में भरती मैला है,
धरती ने ममता से मेरे
आँसू को गोदी में झेला है,
स्वपन सजाए साध कर
सीमाओं को लांघकर।
अलसाए नयनों मे आकर
सपने गाते रात में,
मन का कानन रहा भींगता
सुधियों की बरसात में।
एकांकी रातों में बैठा
आहों से पीड़ा सीता हूँ,
अपने मन की पीर मिटे न
इसके कारण मैं जीता हूँ,
नैन कजरवा आँज कर,
गीत अधर से बाँधकर
मेरी सांसें छोड़ सिसकती
रुठ गए वो बात में
मन का कानन रहा भीगता
सुधियों की बरसात में॥
#मनु जोशी
परिचय:मनोरमा जोशी की जन्मतिथि-१९दिसम्बर १९५३ और
जन्म स्थान-नरसिंहगढ़ है। वर्तमान में आप इन्दौर के विजय नगर में रहती हैं। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। विधा-कविता,आलेख लिखती हैं।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहा है। सम्मान में राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।
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Wed Nov 22 , 2017
बड़े-बुजुर्ग घर की रौनक है, एक रक्षा कवच,एक दौलत हैl अनुभव का हैं वे खजाना, बहुत खलता है उनका जानाl जीते-जी उन्हें अपना बना लो, सिर-आंखों पर उन्हें बिठा लोl खराब नक्षत्र भी सुधर जाएंगे, बिगड़े सब काम बन जाएंगेl बुजुर्गों की दुआओं का फल मिलता है, घर का कोना-कोना […]