पुस्तक समीक्षा: गहरे भावों की कविताएं हैं मृदुला की
डाक्टर मृदुला शुक्ला की कविताएं सहजता से पाठकों के हृदय की बात करती प्रतीत होती हैं। ‘शतदल’ शीघ्र प्रकाशित होकर आया उनका यह संग्रह हिंदी काव्य जगत में अपनी गहरी पहचान बना रहा है। इससे पहले मृदुला के दो काव्य संग्रह मृदुलांजलि और भक्तयांजलि पाठकों मे चर्चित और प्रशंसित हो चुकें हैं ।व्यवसायिता की अंधी दौड़ में जहाँ संवेदनाएं तार-तार हो रहीं हो ऐसे मे मृदुला अध्यात्मिक चेतना से समाज की बिखरी -टूटी संवेदनाओं को पुरजोर जोड़ने की कोशिश करती हुई दीख पड़ती हैं। श्रृंगार की विस्तृत भाव भूमि पर मृदुला की कविताएं पाठकों के हृदयों में समता- ममता का बीजारोपण करती हुईं महसूस होतीं हैं। मृदुला की कविताएं ,समय के साथ चलती हुई पावन गंगा की धारा के समान समाज के कोर- कोर, पोर-पोर में हलचल करती हुई आगे बढतीं हैं। बहरहाल उनकी शतदल की सौ कविताओं का हिंदी जगत में स्वागत जरूर करेगा।
पुस्तक -शतदल( काव्य संग्रह)
कवयित्री- डा मृदुला शुक्ला ‘मृदु’
प्रकाशन -नमन प्रकाशन लखनऊ
मू.280/
समीक्षक- सुरेश सौरभ निर्मल नगर लखीमपुर खीरी