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ख़्वाबों की कश्तियों में
आओ कुछ और
सफर कर लें,
सारे जहां की दौलत
हम अपने
नाम कर लें।
दौलत वह नहीं,
जो तिजोरियों में
कैद है,
दौलत वह जो
खुशबू,फूल,हवाओं में
बिखरी है।
बदलियों के आंचल से
बारिशों में पसरी है,
जो फुनगियों से निकली,
सूरज की रोशनी में
महकी है।
जो दूर कोयल की
कूक में चहकी है,
जो बच्चों की हंसी से
हवाओं में लहरी है।
जो प्रकृति की
मुरकियों,तानों में
बहकी है,
जो तेरी-मेरी
सांसों में
बसती है।
जो हर हमेशा
हमारे दिल की
गहराइयों में
पैठी है,
हमारी सोच में
वाबस्ता हो,
चुपचाप बैठी है।
आओ इस दौलत को
बाहर निकालें,
मीठी यादों को
सबसे बांट लें..
थोड़ा दर्द
छाँट दें
दिलों को हल्का करें,
बोझ बांट लें।
लंबे सफर के लिए…
हमसफर के लिए॥
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।
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Tue Aug 1 , 2017
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