वह पहला हिन्दुस्तान

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ravi rashmi
मेरे देश के नौजवानों,शक्ति के दीवानों..
क्यों देश में हिंसा फैली है 
क्यों काली हुई दिवाली है,
कहाँ गई खुशहाली है..
हम हर इंसान से पूछते हैं,
वह पहला हिन्दुस्तान ढूँढते हैं।
 
लाचारी न थी कहीं,बीमारी न थी कहीं, 
खुशियों के डेरे थे,बहारों के फेरे थे..
कौन यहाँ पर दुश्मन 
देश का अमन-चैन लूटते हैं,
हम अपना हिन्दुस्तान ढूँढते हैं।
 
कि आग लगी जो दिल में तुम्हारे,
है उबाल जो ख़ूं में तुम्हारे 
तो फिर इतना ही है कहना,
झुग्गी-झोंपड़ियों में झाँको
लाचारों के पेट में ताको,
कहीं आग लगानी ही है तो 
उन सूने चूल्हों में लगाओ,
दाल-रोटी जहाँ पक सके 
क्यों नहीं ये सवाल तुम्हारे,
मन को सूझते हैं।
हम पहला हिन्दुस्तान ढूँढते हैं।
 
युवा हो खुद की शक्ति जानो,
कुंठा और रूढ़ियों की जड़ पहचानो..
जलती नारियों के दुख जानो,
दहेज विरोधी वितान तानो..
भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाओ,
दुश्मन को तो सबक सिखाओ 
कि,आँख इधर उठने न पाए,
आतंक न कहीं दामन फैलाए 
कोई ऐसा कानून बनाओ,
ज़रा सोचो…विदेशी क्यों 
हमारा देश लूटते हैं।
हम अपना हिन्दुस्तान ढूँढते हैं।
 
मंदिर-मस्जिद,गिरजाघर की  
शक्ति को ललकारने वाले,
पटकनी खुद को दे देंगे 
वो अपना बन उठाने वाले..
याद करो वो जलियाँवाले 
बाग के अमर शहीदों की,
दीवारों में बच्चे चुनवाए।
याद करो उन मुरीदों की,
आग लगा दो उन हाथों को 
जो धरा हमारी छीनते हैं,
उठते हुए तूफ़ानों में हम 
पहला हिन्दुस्तान ढूँढते हैं।
 
आज संकल्प की धरा पर तुमने,
खड़ा करना है भव्य महल
नशा,तम्बाकू,सिगरेट,शराब 
डाल रहे शांति में खलल..
करो कुछ ऐसा कि टूटे न फिर क़हर,
खुशियों के फूल खिलाओ वहाँ 
रुदन के स्वर जहाँ फूटते हैं..
हम अपना हिन्दुस्तान ढूँढते हैंll 

                                                                                  #रवि रश्मि ‘अनुभूति’

परिचय : दिल्ली में जन्मी रवि रश्मि ‘अनुभूति’ ने एमए और बीएड की शिक्षा ली है तथा इंस्टीट्यूट आॅफ़ जर्नलिज्म(नई दिल्ली) सहित अंबाला छावनी से पत्रकारिता कोर्स भी किया है। आपको महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार,पं. दीनदयाल पुरस्कार,मेलवीन पुरस्कार,पत्र लेखिका पुरस्कार,श्रेष्ठ काव्य एवं निबंध लेखन हेतु उत्तर भारतीय सर्वोदय मंडल के अतिरिक्त भारत जैन महामंडल योगदान संघ द्वारा भी पुरस्कृत-सम्मानित किया गया है। संपादन-लेखन से आपका गहरा नाता है।१९७१-७२ में पत्रिका का संपादन किया तो,देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में गीत,ग़ज़ल,कविताएँ, नाटक,लेख,विचार और समीक्षा आदि निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। आपने दूरदर्शन के लिए (निर्देशित नाटक ‘जागे बालक सारे’ का प्रसारण)भी कार्य किया है। इसी केन्द्र पर काव्य पाठ भी कर चुकी हैं। साक्षात्कार सहित रेडियो श्रीलंका के कार्यक्रमों में कहानी ‘चाँदनी जो रूठ गई, ‘कविताओं की कीमत’ और ‘मुस्कुराहटें'(प्रथम पुरस्कार) तथा अन्य लेखों का प्रसारण भी आपके नाम है। समस्तीपुर से ‘साहित्य शिरोमणि’ और प्रतापगढ़ से ‘साहित्य श्री’ की उपाधि भी मिली है। अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट द्वारा ‘वुमन आॅफ़ दी इयर’ की भी उपाधि मिली है। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में प्राचीरों के पार तथा धुन प्रमुख है। आप गृहिणी के साथ ही अच्छी मंच संचालक और कई खेलों की बहुत अच्छी खिलाड़ी भी रही हैं।

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