इंसान उसे कहते हैं…

0 0
Read Time3 Minute, 19 Second

manoj

काम किसी के आए इंसान उसे कहते हैं,
दर्द पराया उठा सके इंसान उसे कहते हैं,
दुनिया एक पहेली कहीं धोखा कहीं ठोकर,
गिर के जो संभल जाए इंसान उसे कहते हैं।

संसार मुसाफिर खाना है सांसों का आना-जाना है,
सागर गहरा नाव पुरानी मौजों का आना जाना है,
व्यर्थ की चिंता क्यों करता है ऐ माटी के पुतले तू
जीवन बड़ा अनमोल है कष्टों का आना जाना है।

जख्म का दर्द जब हद से गुज़र जाता है,
तब हरेक पल पहाड़-सा नज़र आता है,
मन को कितना भी समझाओ ठीक होगा,
पर हर नया ज़ख्म उभर के कहर ढाता है।

पत्ते आँधियों का रूख भांप लेते हैं,
भांप के आँधियों का वेग माप लेते हैं,
कौन-सा शजर किस दिशा में गिरेगा,
उसकी आहट को चुपचाप नाप लेते हैं।

                 #मनोज कामदेव

परिचय : अनेक पुस्तकें लिखने के साथ ही सम्पादित भी कर चुके मनोज ‘कामदेव’ लेखन क्षेत्र में नया नाम नहीं है। 1973 में खैराकोट(उत्तराखंड) में आपका जन्म हुआ है,और भगतसिंह कालेज(दिल्ली विश्वविद्यालय)से बीए किया है। डी.आर.डी.ओ. में वरिष्ठ प्रशासनिक सहायक के पद पर कार्यरत होकर चन्दर नगर (गाजियाबाद) में निवासरत हैं।आपके प्रकाशित कविता संग्रह ‘मेरी कविताएं'(दिल्ली),’मेरा अंदाज़े बयां'( मेरठ) और ‘मेरी ईज़ा’आदि (मेरठ) द्वारा संपादित हैं। प्रकाशित पुस्तक संग्रह में ‘उत्तराखंड के गौरव’ (मेरठ) भी सम्पादित है। संपादित। इसके अलावा प्रकाशनाधीन दोहे संग्रह ‘त्रिशा’,प्रकाशनाधीन पुस्तक संग्रह ‘देवभूमि उत्तराखंड.’ एवं प्रकाशनाधीन गज़ल संग्रह ‘हुस्ना’ भी है। स्मारिका (कुमाऊँ जनसहयोग समिति) दिल्ली,स्मारिका (ठोसावस्था भौतिक प्रयोगशाला),दिल्ली और मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय पत्रिका ‘यदुवंश गंगा’ आदि से भी जुड़े हैं। दिल्ली में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं और सम्मान भी मिले हैं। सन 2000 में हिन्दी निबन्ध लेखन में प्रशस्ति- पत्र,मिनिस्ट्री आफ डिफेन्स द्वारा सर्टिफिकेट सहित ‘आगमन गौरव सम्मान’(2013),’काव्यदीप सम्मान’,
‘साहित्य प्रेरक सम्मान(2014)’, ‘हिन्दी दिवस सम्मान(2014)’ और
‘बज़्म-ए-जीनत सम्मान’(2015) के रुप में करीब 22 सम्मान मिले हैं। 25 वर्ष से देश के विभिन्न कवि-सम्मेलनों में भागीदारी है तो 10 पुस्तकों की समीक्षा एवं कई की भूमिका पर भी कलम चलाई है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्रीत का हरश्रृंगार...

Thu Mar 2 , 2017
इस भीषण तपती गरमी में एक अद्भुत शीतल कल्पना हो चली,खुली आँखों ने एक प्यारा स्वप्न दिखाया,और मैं शरद ऋतु की प्रभात बेला में तुम्हारे संग सैर पर निकल चली। हाथों में डाले हाथ लहराते हुए सुबह की हल्की गुलाबी ठंड…।एक ‘हरश्रृगांर के पेड़’ पर बरबस दृष्टि चली गई…। हरी […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।