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वक्त की रेत पर जीवन की कश्ती है,
साहिल की लहरों पर जिंदगी गुजरी है।
करवट-करवट मौत मिली,
पल छिन खुशियाँ भी आई हैं
आँसू मुस्कान की चादर लेकर,
हमने रात बिताई है।
कभी गम के बादल छाए,
कभी हर्ष की बरखा हुई
सूखी रेत पर कभी हमने
सपनों की खेती बोई है।
धीरे-धीरे साँसों की धार पर,
जीवन की नैया खेते-खेते
जीवन की सांझ आ गई,
मौत की ठण्डी शीतल बांहों
ने अब आलिंगनबद्ध किया है॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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Mon Oct 9 , 2017
हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी। तेरे सारे पेड़ ये झूमें, हवा के शीतल झोंकों से मन भी कंपित-सा होकर, […]