किताब का नाम -गाफ़िल लेखक – सुनील चतुर्वेदी प्रकाशक -अंतिका प्रकाशन मूल्य – 140 रु हम सब गाफ़िल हैं। यही सच है खोए हुए हैं न जाने कहाँ ।यह अहसास सौ गुना बढ़ गया जब सुनील चतुर्वेदी जी का उपन्यास पढा गाफ़िल । नायक अपनी अर्द्ध चेतना में है बीते […]

” गुलदस्ता फूलों का बंधन है तो भाषा भावों   का” किंतु पत्रकारिता पत्र-पत्रिकाओं के लिए समाचार लेख आदि एकत्रित तथा संपादित करने प्रकाशन आदेश आदि देने का कार्य करने हेतु है, डॉ बद्रीनाथ कपूर तो पत्रकारिता का इतिहास यही कहता है की पत्रकारिता का प्रारंभ सरकारी नीतियों को आम जनता […]

भाग्य जिसे दुर्भाग्य बन पग पग पर छलता रहा वो सूर्यपुत्र हो अंधकार से जीवन भर लड़ता रहा जन्मा सूरज के औरस से त्यागा लोक लाज के भय से कुरुवंश का ज्येष्ठ पुत्र सिंहासन का यथार्थ अधिकारी रहा उपेक्षित जीवन भर थी विडम्बना उस पर भारी सूतपुत्र होना उसको जीवन […]

साज़िशें बनती रही मुझको मिटाने की, मैं इनायतें समझती रही ज़माने की, रखती हूं हौंसला आसमान  को छूने का, परवाह नहीं करती ज़मीन पर गिर जाने की, तज़ुर्बे से गिन लेती हूँ उड़ती चिड़िया के पर, आदत नहीं मुझे हवा में तीर चलाने की, उठती रही मैं  हरबार ज़िंदादिली के […]

अम्बर पर यूँ छाई लाली, शीत ने ज्यूँ मेहंदी रचा ली, धुंध की चूनर हुई पुरानी, ओढ़ चुनरिया धूप की धानी, तुहिन कणों के धर आभूषण, शीत यौवना बन गई दुल्हन, फूलों के कँगना खनकाती, किरणों की पायल छनकाती, मदमस्त हुई इठलाती गाती, जल-दर्पण को देख लजाती, पीत हरित,नील कुसुमल, […]

कोई भी प्रण कोई प्रतिज्ञा इस युग में मैं नहीं करुँगी अखिल विश्व का भार वहन कर वसुंधरा मैं नहीं बनूँगी… ऋषि पत्नी का शापित जीवन शिला बनी जो भटकी वन वन राम चरण रज प्रतीक्षारत अहिल्या बनकर नहीं रहूँगी कोई भी प्रण…. पांच पांडवों की भार्या बन पांचाली सा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।