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कभी है हांक लगाता,
कभी सांस है खींचे।
दांये-बांये, ऊपर-नीचे
देखे चलते आगे-पीछे।
रात-प्रात या घनी दोपहरी।
सीमा पर तैनात है प्रहरी।
यह न डरता गोली बम से,
बना है यह फौलादों से।
देश बचा है इसके दम से,
है लदा फर्ज के वादों से।
रात-प्रात या घनेरी दोपहरी।
सीमा पर तैनात है प्रहरी।
दूध पिया है अपनी मां का,
दुश्मन को गिन-गिन के मार।
अन्न है 8खाया धरती मां का,
इस मां का भी कर्ज उतार।
रात प्रात या घनी दोपहरी।
सीमा पर तैनात है प्रहरी।
वतन है तेरा ईश्वर अल्लाह,
इस पर दे तू सब कुछ वार।
देश की नाव का तू है मल्लाह,
करना तुझको बेड़ा पार।
रात-प्रात या घनी दोपहरी।
सीमा पर तैनात है प्रहरी।
#राजबाला ‘धैर्य’
परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।
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Mon Jul 10 , 2017
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