मेरी प्यारी माँ

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sunil chourasiya
मेरी प्यारी माँ,
धरती से बड़ी है
छोटा है आसमाँ,
मेरी प्यारी माँl

जाऊँ मैं कहीं भी,
जाऊँ मैं कभी भी
बना देती है रोटी,
गरम स्वादिष्ट सब्जी संग
पूरी छोटी-छोटीl

छोड़ने से पूर्व गाँव,
छूता हूँ भाव से पाँव
छूकर स्नेह से शीश,
देती है आशीषl

खूब पढ़ो,आगे बढ़ो,
पूरा हो अरमाँ
मेरी प्यारी माँ,
धरती से बड़ी है
छोटा है आसमाँ,
मेरी प्यारी माँl

देखकर मुझे उदास,
हो जाती है हताश
पूछती है आकर पास-
`बेटा,क्यों हो निराश?
मैं हूँ न तेरे साथ,
रखो खुद पर विश्वासl`

जीत हो या हार,
रहो हरदम तैयार
तुम्हें फूलों का हार,
पहनाएगा संसार
संसार है परिवार,
करो सबसे तुम प्यारl

हो हिन्दू या मुसलमां,
मेरी प्यारी माँ
धरती से बड़ी है,
छोटा है आसमाँ
मेरी प्यारी माँl

कष्टों को हँसकर सहती है,
और मुझसे कहती है-
`धूल-मिट्टी से खेलो,
कष्टों को हँसकर झेलोl

खिला हुआ पुष्प भी सहता,
वर्षा-धूप-तूफाँ…….
मेरी प्यारी माँ,
धरती से बड़ी है
छोटा है आसमाँ,
मेरी प्यारी माँl

`सुनो बेटा सुनील,
है कुछ भी नहीं मुश्किल
उर्वर बनाओ या रेत,
है खेत दिमाग-दिल
जब शुद्ध सोच से सींचोगे,
तब खिलेगा फूल
जब भूल जाओगे सद्कर्म,
तब उड़ेगी धूल
सद्कर्म करो,सोचो मत,
`क्या कहेंगे लोग`
लोगों को लगा है बस
बहकाने का रोगl`

देश-हित में जीयो-मरो,
तुम हो वीर जवाँ…..
मेरी प्यारी माँ,
धरती से बड़ी है,
छोटा है आसमाँ
मेरी प्यारी माँl

छोड़ दो बहानेबाजी,
वर्ना लोग कहेंगे पाजी
काम कठिन हो या सरल,
करने को हो जा राजी
तुम गरीब,मैं गरीब,
गरीब थे लिंकन
पन्द्रह बार हारकर
चूम लिया गगनl

न-न,करना छोड़ दो,
दिल में बसा लो `हाँ`…
मेरी प्यारी माँ,
धरती से बड़ी है
छोटा है आसमाँ,
मेरी प्यारी माँll

                                                            #सुनील चौरसिया ‘सावन’

परिचय : सुनील चौरसिया ‘सावन’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९९३ और जन्म स्थान-ग्राम अमवा बाजार(जिला-कुशी नगर, उप्र)है। वर्तमान में आप काशीवासी हैं। कुशी नगर में हाईस्कूल तक की शिक्षा लेकर  बी.ए.,एम.ए.(हिन्दी) सहित बीएड भी किया हुआ है। इसके अलावा डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन,एनसीसी, स्काउट गाइड, एनएसएस आदि भी आपके नाम है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन,लेखन,गायन एवं मंचीय काव्यपाठ है तो सामाजिक क्षेत्र में नर सेवा नारायण सेवा की दृष्टि से यथा सामर्थ्य समाजसेवा में सक्रिय हैं। विधा-कविता,कहानी,लघुकथा,गीत, संस्मरण, डायरी और निबन्ध आदि है। अन्य उपलब्धियों में स्वर्ण-रजत पदक विजेता हैं तो राष्ट्रीय भोजपुरी सम्मेलन एवं विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बैनर तले मॉरीशस, इंग्लैंड,दुबई,ओमान और आस्ट्रेलिया आदि सोलह देशों के साहित्यकारों एवं सम्माननीय विदूषियों-विद्वानों के साथ काव्यपाठ एवं विचार विमर्श शामिल है। मासिक पत्रिका के उप-सम्पादक भी हैं। लेखन का उद्देश्य ज्ञान की गंगा बहाते हुए मुरझाए हुए जीवन को कुसुम-सा खिलाना, सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार कर सकारात्मक सोच को पल्लवित-पुष्पित करना,स्वान्त:सुखाय एवं लोक कल्याण करना है। श्री चौरसिया की रचनाएँ कई समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।