नारी शक्ति सम्मान

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prashant kourav
नारी—–
तुझमें ही प्रेम प्रतिज्ञा का रुप हमने देखा है,
तुझमें ही रणचंडी का स्वरुप हमने देखा है।
तुम प्रतिमा हाड़ा रानी के शीश दान की हो,
तुम पावन गाथा पन्ना धाय के स्वाभिमान की हो।
हम तुम्हें दुर्गा काली का अवतार समझते हैं,
रानी लक्ष्मीबाई की,पैनी तलवार समझते हैं।
तुम ही तो आजादी का चारण हो,
इन्द्रा के वचनों की स्पष्ट उदाहरण हो।
ब्राम्हणी रुद्राणी तुम सारे देवों की माता हो,
लाड़ले तिरंगे की तुम ही भारत माता हो॥
माँ—-
तुम्हीं देवकी बन किशन जनाए थे,
पार्वती बनकर तुमने ही गणेश बनाए थे।
लव-कुश को भी तुमने सत्य आचरण सिखाए थे,
केवल राम कथा के ही उनको अध्याय पढ़ाए थे।
दुष्टों को सबक सिखाने तू काली माई बनी,
देश को आजाद कराया, तुम ही जीजाबाई बनी।
तुमसे ही पैदा इस माटी पर चंदन होता है,
ऐसी मांओं का भारत में वंदन-अभिनंदन होता है।
तुम शहादत के सरदार हेमराज़ की माता हो,
लाड़ले तिरंगे की तुम्हीं भारत माता हो॥
नारी शक्तियां—
तुम्हीं कावेरी यमुना की पावन सूरत हो,
तुम्ही राधा-रुक्मिणी की प्यारी सूरत हो।
तुम्हीं पवित्र सीता मैया हो,
कष्टों को हरने वाली तुम ही गंगा मैया हो।
सिंधु की गहराई तुम,सतलज की धारा हो,
तुम ही तो जय माता दी का नारा हो।
देव मंत्रों की तुम ही पावन वेदी हो,
जम्मू काश्मीर की तुम ही वैष्णो देवी हो।
और ऊँचे पहाड़ों पर तुम मैहर वाली माता हो,
लाड़ले तिरंगे की तुम्हीं भारत माता हो॥
बहिन—–
तुम्हीं हरदौल लला की कुंजा हो,
तुम्हीं पावन पूजन की संध्या हो।
तुम बहिन द्रोपदी की सूरत में दिखती हो,
आई जैसे सावन की हरियाली लगती हो।
ज्यों-ज्यों धीरे से त्यौहार चला आए राखी का,
द्रश्य मनोहर दिखता हो भादो की झांकी का।
ले हाथ में राखी बहिन छमक-छमककर आती है,
हो कितने ही ग़म पर त्यौहार खूब मनाती है।
उसकी सूरत में फिर कोई बंधन याद आता हो,
बहिन,बेटी हो या नारी सबकी सूरत में तुम भारत माता हो॥
                                                                #प्रशांत कौरव ‘मजबूर’
परिचय: प्रशांत कौरव ‘मजबूर’ की जन्मतिथि-१७ अक्टूबर १९९२ और जन्म स्थान-आडेगाँव(खुर्द,गाडरवाड़ा जिला नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश) है। मप्र के इसी शहर-गाडरवाड़ा में आपका निवास है। उच्चतर शिक्षा के बाद आपका कार्यक्षेत्र-कृषि का निजी व्यवसाय है। आप सामाजिक क्षेत्र में कौरव महासभा नरसिंहपुर में सक्रिय हैं। लेखन विधा-वीर रस अपनाई हुई है तो करीब २५० अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में मंच से भी कविताएं सुना चुके हैं। सम्मान के रुप में नवोदित रचनाकार सम्मान,भीष्म साहित्य सम्मान,वाग्दत्ता साहित्य सम्मान, सरस्वती साहित्य परिषद युवा रचनाकार सम्मान काव्य कलश समान २०१७ भी आपको दिया गया है। आपके लेखन का उद्देश्य यही है कि,अपनी कविताओं के माध्यम से सब लोगों को हर बार एक आजाद हिन्दुस्तान का संदेश और आतंकवादियों,भ्रष्टाचारियों तथा देशद्रोहियों से हमेशा लड़ने का प्रोत्साहन देते रहें।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।