‘ह’ से अपना हिमालय, सिर छत्र मां का बनाएं। ‘स’ सूरज की लालिमा, मां के भाल लगाएं। सारे जहान में में हिन्दी को फैलाएं। मां भारती को हम हिन्दी से सजाएं॥ ‘म’ से मांग में तारे, केश गजरा लगाएं। काजल अमावस का, पूनम-सा रूप सजाएं। मां भारती को हम हिन्दी […]

कभी  है  हांक  लगाता, कभी  सांस   है  खींचे। दांये-बांये,  ऊपर-नीचे देखे  चलते आगे-पीछे। रात-प्रात या घनी दोपहरी। सीमा पर तैनात है प्रहरी। यह न डरता गोली बम से, बना है  यह  फौलादों से। देश बचा है इसके दम से, है लदा फर्ज के वादों से। रात-प्रात या घनेरी दोपहरी। […]

सुमरूं बारंबार शारदे है मांई, आन विराजो कंठ शारदे हे मांई। सुमरूं हूं मैं उस ईश्वर को, जिसने रचा संसार शारदे हे मांई। सुमरूं बारंबार शारदे हे मांई..॥ सुमरूं हूं मैं मां माटी को, जहां उगे अन्न धान शारदे हे मांई। सुमरूं बारंबार…….. सुमरू हूं नित मात-पिता को, दिया जिन्होंने […]

आईना तब से चिढ़ने लगा, प्यार जब से तू करने लगा। गली में  कभी चौबारे खड़ा, रास्ता मेरा तू तकने लगा डर है  मुझे  तब लगने लगा सरेआम जब तू मिलने लगा। प्यार जब से….। मुलाकातें  हुईं  अफसाना बना, मैं दीवानी हुई  तू दीवाना लगा सब पराए हुए  तू सगा […]

मैं जल-जल के हूं हारा, कितनी बार जलाओगे.. मन में जो रावण बैठा है, कब उसे भगाओगे। हर बार जलाया जाता हूं, कैसा अभिशाप मिला मुझको.. मर के भी जिंदा रहता हूं, कैसा यह पाप सिला मुझको। सबने ही दोषी पाया है, मैंने सीता का हरण किया.. नेह की भिक्षा […]

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मेरी प्यारी-प्यारी मां, सब रिश्तों से न्यारी मां। जन्म दिया इसने मुझको, मुझको पाला-पोसा है.. लाख गलतितों पर भी, कभी न दिल से कोसा है। मेरे सुख में हंसे-हंसाय, मेरे दुःख में रोती है.. कठिन मुसीबत में भी, कभी न धीरज खोती है। न तो ऐसी न तो वैसी, पूरी-पूरी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।