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वह सुंदर-सी गोरी आठवीं में पढ़ती थी। सांवली-सी,औसत कद था। जल्दी शादी हो गई गरमी की छुट्टी
में।
देखा पति हाईकोर्ट में बाबू हैं। मुझे
पढ़ाई करनी है। मैट्रिक के बाद उसने
एक स्कूल में पढ़ना शुरू कर दिया।
उसे सरकारी नौकरी मिल गई और
वह भी बाबू बन गई।
इस बीच उसकी तीन बेटियाँ हुई।
उसने सबको खूब पढ़ाया। पति की मृत्यु हो गई। मुखाग्नि छोटी बेटी ने ही दी।वह सोचती रही कि,समय कितना बलवान है।
#डॉ.राजलक्ष्मी शिवहरे
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