सवालों के जंगल में खो गई है ज़िन्दगी। उम्मीद के सैलाब में बह गई है ज़िन्दगी॥ बेबस  है हर कोई,मंज़िल न मालूम। मुसाफिर बन के,रह गई है ज़िन्दगी॥ हर सुबह लेती है,जन्म एक नई ख्वाहिश। न जाने कैसे-कैसे खवाब,सजाती है ज़िन्दगी॥ कभी खुशनुमा कभी,गमगीन आई  मंज़िलें। सुकून के इंतज़ार में,कट […]

       दो बजे की आधी छुट्टी में वह घर खाना खाने आई,माँ तब भी रामायण पढ़  रही थी।         हम दोनों  साथ में खाते थे। ‘आप आज फिर इतनी देर से खाना खाएंगी।’         ‘आज मशीनवाले जवाहर भैया आ गए थे। चाय-नाश्ते […]

   वो पंजाबी लड़की थी, ऊँची पूरी तेजतर्रार और नामी लेखिका भी। शादी हुई,बच्चे भी हुए,किंतु अलगाव हो गया।     बच्चे बड़े हो गए तो वह अकेली हो गई। घर का सारा काम उसे ही करना पड़ता। एक दिन बाजार से सामान लाते समय उसकी स्कूटी बंद हो गई। […]

 वह सुंदर-सी गोरी आठवीं में पढ़ती थी। सांवली-सी,औसत कद था। जल्दी शादी हो गई गरमी की छुट्टी में। देखा पति हाईकोर्ट में बाबू हैं। मुझे पढ़ाई करनी है। मैट्रिक के बाद उसने एक स्कूल में पढ़ना शुरू कर दिया। उसे सरकारी नौकरी मिल गई और वह भी बाबू बन गई। […]

जीवन में केवल ठंड होती, तो धूप सुहावनी कैसे लगती। यदि केवल गरमी होती तो छाँव की तलाश क्यों  होती॥ सुख और दुख आते हैं, जाते हैं। यदि मित्र न होते तो शत्रु की पहचान कैसे होती॥ हम पूर्ण होते तो, परमेश्वर को क्यों ढूंढते।           […]

वो सुंदर सी छरहरी देह की गौर वर्णीय लड़की थी। औसत थी पढ़ाई में। माँ कहती-बेटों को चाहे जितना पढ़ा लीजिए,पर विभूति को नहीं। अनिमेष पढ़ने  में बहुत होशियार नहीं था,फिर भी इंजीनियरिंग  कर ही ली थी। जिद करके विभूति भी डॉक्टर बन ही गई थी। वह शोध  के लिए […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।