बेवफाई हमसे सरेआम…

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kamani
हम दिल से उन्हें हर बार सलाम करते हैं;

वो यूंही बेवफाई हमसे सरेआम करते हैंl 
 
सीख लिया पत्तों ने पतझड़ में यूं संभलना;
खाक होने का फिर वो इंतज़ाम करते हैं।
 
न होना मायूस यूं हारकर तुम कभी भी;
हारकर कुछ लोग मुकद्दर को बदनाम करते हैं।
 
आती नहीं होशियारी कि खुद को सही कहें;
गलतियों से सीखकर हासिल मुकाम करते हैं।
 
देश को कुछ लोगों ने अपनी जागीर समझा है;
शब्दों के बाणों से फिर वो कत्लेआम करते हैं।
                                                                                   #कामनी गुप्ता
परिचय : कामनी गुप्ता जम्मू से हैं और एमएससी(गणित) किया हैl लिखना इनका शौक है,अभी तक छ: साझा संग्रह में शामिल हैं। दीपशिखा,सहोदरी सोपान,सत्यम प्रभात तथा महकते लफ्ज़ आदि इसमें प्रमुख हैंl विभिन्न समाचार पत्रों और  पत्रिकाओं में कविता,ग़ज़ल और कहानी प्रकाशित होती हैं। निरंतर सीखने को ही यह लिखने की सफलता मानती हैंl 

matruadmin

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One thought on “बेवफाई हमसे सरेआम…

  1. शानदार पंक्तियाँ
    हर शब्द में जान हे
    क्योंकि खुदा मेहरबान हे
    डॉ हरीश “पथिक”

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