खुदा जाने क्यूँ…….

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neha sharma
तेरी ही जुस्तजू में,
अब तो मिल संगदिल
इस चांदनी रात में।

रश्क आये चाँद- चांदनी को भी हमें साथ देख,
चुरा ले आँखें चाँद भी हमें साथ देख।

बैठे रहें हम पहरों

एक दूजे के पहलू में,
बीते न चांदनी रात,
रहे यूँ ही क़यामत तक।

न भोर हो कभी,

दुआ करें यह दिल में,
कहें न कुछ इक दूजे से,
गुफ्तगू हो निगाहों से।

लब न हिलें,
न कुछ कहें, न सुनें,
बैठे रहें बुत बन कर

ऐसी चांदनी रात में।

एक दूजे का हाथ थामे खोएं हम ऐसे,
न रहे याद बिछुड़ना हमको जैसे।

हसरत है यह आज इस दिल-ए-नादान की,
खुदा ही जाने क्यूँ?
इंतज़ार है तुम्हारा आज की शब,
खुदा ही जाने क्यूँ ?

नाम : नेहा शर्मा 

मोहाली (पंजाब)

सम्मान : 
1) “विश्व हिन्दी रचनाकार मंच” द्वारा ‘श्रेष्ठ कवयित्री सम्मान’ तथा 
‘श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान’ से सम्मानित।

2) “काव्य मंजरी साहित्य समूह” द्वारा 
‘श्रेष्ठ कहानीकार सम्मान’, 
‘स्वर कोकिला सम्मान’, 
‘रंगारंग सम्मान’ से सम्मानित।

3) “अमलताश के शतदल साहित्य समूह” द्वारा ‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित।

इसके अतिरिक्त 
“विश्व हिन्दी रचनाकार मंच” की हिन्दी प्रचार-प्रसार योजना के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली साहित्य पत्रिका हिंदी सागर के संपादक मंडल/प्रभारी सदस्य जनवरी – मार्च 2018 (महिला विशेषांक) तथा विश्व हिन्दी लेखिका मंच निःशुल्क प्रकाशन योजना के संयोजक मंडल में शामिल।

प्रकाशन : 
 
1) Poetry Society of India द्वारा प्रकाशित ‘यथार्थ-भाग 2’ और ‘सम्यक’ में रचनाएं संकलित।

2) विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी सागर’ पत्रिका वर्ष-1
अंक-2,3,4 एवं वर्ष – 2 अंक -1 में प्रकाशित रचनाएं।

3) “अमर उजाला” समाचार पत्र में रचनाएं प्रकाशित

4) दिल्ली – लखनऊ से प्रकाशित “ट्रू टाइम्स” में  रचना प्रकाशित

5) इलाहाबाद से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “भारत संवाद” में रचना प्रकाशित 

6) “साहित्यपीडिया” द्वारा प्रकाशित  साहित्यपीडिया काव्य संग्रह ‘प्यारी बेटियां’ में रचना प्रकाशित 

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