किनारा

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ritu ray
    सदा सत्य पथ पर चले जाना है
हवा के है झोंके बहे जाना है।
कभी सोचते है,ठहरे इसी पथ
बस नीर है हम, बहे जाना है ।
ठहरी नही जिंदगी भी किसी पथ
किसी के लिए ना रुके हम किसी पथ
कभी लड़खड़ाये ,तो सोच ले हम
यही जिन्दगी है बस चले जाना है।
किसको सुनाये , हम अपनी कहानी
कैसे बताये क्या है , जिन्दगानी
समेट न पाये रिस्तो को अपने
हम वारि है, हमे बहे जाना है ।
तेरा काम है नीर बहना ही बहना
न है कोई मंजिल, तो फिर क्यों ठहरना।
काश तेरा कोई किनारा भी होता
जहा तू ठहरता, विश्राम करता।
तू जल है, तुझे जीवन कहते सभी है।
सदा तुझ पर निर्भर , जीव जन्तु सभी है।
तेरी भी अपनी है क्या जिन्दगानी
बता न कभी, मुझको अपनी कहानी ।
तुझ विन धरा पर जीवन नही है।
सब है पता, तेरी कदर क्यों नही है
नही तुझे गिला, न है शिकवा किसी से
बता न, हम इंसान क्यों तेरे जैसे नही है।
तू नीर है , पय, वारि, उदक है
स्वभाव ही शीतल बहे जाना है ।
कही न है ठहरा, न ठहरेगा कही भी
सदा सत्य पथ पर चले  जाना है ।
 #ऋतू राय ऊषा

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