मैं वो हूँ..

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keshav
बीत गया और एक साल,
छोड़ गया कुछ और सवाल।
अब कहाँ से शुरु करूँ,
किसको अपनी व्यथा कहूँ।
ये जो जीवन है मेरा,
हमेशा ऋणी है तेरा।
इसमें मैंने गलत किया,
भूलों का झुण्ड खड़ा किया।
ऐसी भूल भी की,
जो प्रिय था कानों को,
जो प्रिय था विचारों को,
जो प्रिय था आंखों को,
जो प्रिय था हाथों को..
लेकिन,
इसके दरम्यान मैंने,
बस एक ही सही काम किया,
तुम्हें और सिर्फ तुम्हें..
खुद से भी ज्यादा प्यार किया।
मैं नहीं रखना चाहता हूँ तुम्हें,
किसी भी तरह के बंधनों में..
लेकिन ये भय रहता है मुझे,
कि,कहीं खो न दूं तुझे।
मुझे ये पता है,
कि, तुम्हारे जाते ही..
सभी चीजें अपना आस्तित्व खो देंगी,
प्रकृति भी मुझ पर रो देगी।
जो आज यहां है,
कल नहीं रहेगा..
मैं यहाँ पर हूँ ,
कल नहीं रहूँगा।
एक खाली जगह होगी,
जहाँ सिर्फ अपने होंगे
जहाँ सिर्फ सपने होंगे,
जो मुझे पास बुलाएंगे..
अपना ही दर्द सुनाएंगे।
यह जिस्म बेघर हो जाएगा,
सिर्फ गिद्ध दिन-रात मंडराएगा।
लोग मेरा गम नहीं,पता पूछेंगे,
लेकिन उन्हें ये नहीं मालूम..
कि,मैं..
मैं वो हूँ,जिसमें एक इंसान का,
खून बहता है॥
(धन्यवाद)।।
आप के सुझाव और सलाह का आकांक्षी हूँ।

                                                                                         #केशव कुमार मिश्रा

परिचय: युवा कवि केशव के रुप में केशव कुमार मिश्रा बिहार के सिंगिया गोठ(जिला मधुबनी)में रहते हैं। आपका दरभंगा में अस्थाई निवास है। आप पेशे से अधिवक्ता हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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