प्रेम

6
1 0
Read Time1 Minute, 35 Second

 

manisha

तुमसे है प्रेम कितना,

यह नापने के लिए

कोई पैमाना नहीं..

यह बताने के लिए,

कोई शब्द भी नहीं..

कोई जतन भी नहीं

यह तुम्हें जतलाने के लिए

क्योंकि,तुम्हारे और मेरे शब्द व उनके अर्थ

तुम्हारी व मेरी भाषा

एक हो चुके हैंl

 

अब मैं तुम्हारी चुप्पी को भी,

सुनने का सामर्थ्य रखती हूँ..

तुम्हारे सपने मेरे सपने,

हमारी जमीन पर पलते हैं

यहीं हम वह तल हैं,

जहाँ हम मिलते हैं और

पा जाते हैं सब-कुछ,

बिना कुछ कहे सुने..

एक आत्मिक अनुपम

तृप्त से अहसास कोl

  #डॉ.मनीषा शर्मा

परिचय : शिक्षाविद् के रुप में डॉ.मनीषा शर्मा लम्बे समय से अध्ययन कार्य से जुड़ी हुई हैंl वर्तमान में आप शहर के एक निजी कॉलेज में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष हैंl इन्दौर में ही आपका निवास है और लेखन क्षेत्र में  सक्रिय लेखिका के तौर पर जानी जाती हैंl आपकी सात किताबों का प्रकाशन हो चुका है और साहित्य के क्षेत्र में कई सम्मान(जनकवि सम्मान,माहेश्वरी सम्मान,शब्द प्रवाह सम्मान आदि) प्राप्त हो चुके हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

6 thoughts on “प्रेम

  1. डॉक्टर मनीषा शर्मा की कविता उत्कृष्ठता से परिपूर्ण भावनाओ से युक्त है। सुन्दर शब्द चयन के साथ ही प्यार को अनुपम रूप में रूपायित किया है। अनुभति के स्तर पर प्यार बस प्यार है।
    मनीष जी एवम मातृभाषा.कॉम को हार्दिक बधाई एवम मबगलजमनाएँ।
    राजकुमार जैन राजन, आकोला
    (संपादक, प्रकाशक, पत्रकार, लेखक)

  2. एक आत्मिक अनुपम

    तृप्त से अहसास कोl
    यही तो प्रेम है जिसकी कोई भाषा नहीं।

  3. बहुत सुंदर रचना हुई है बधाई स्वीकारें आदरणीया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

लेखनी कब तक कठघरे में

Tue May 16 , 2017
साहित्य सिर्फ समाज का दर्पण ही नहीं होता,बल्कि समाज को परिष्कृत कर नई दिशा भी सुझाता है….दिखाता है…..पहला कदम बढ़ाता है और इसके लिए साहित्यकार न जाने कितनी रातें और कितने दिन कुर्बान कर मानसिक रूप से वहाँ हो आता है ….उसको जी लेता है। सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव की […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।