प्यारी बहना

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vijayanand

बचपन के सब खेल-खिलौने,
गुड्डे-गुड़िया,और कुछ सपने।

बहना-संग वो हँसी-ठिठोली,
कभी झगड़ा,और कभी हमजोली।

चिड़िया-सा,दिन-रात चहकना,
तितली बन,फिर-फिर उड़ जाना।
याद आए वो प्यारी बहनाll

जी चाहे,लौटूँ  उस पल में,

गुड़िया जब आई थी घर में।

बोला था उसने जब `भैया`,

नाचा था मैं, `ता-ता-थैया`।
यादों के सपनीले पलों में,
घुल जाना,और खो जाना।
याद आए वो प्यारी बहना।

मैं ढूंढूँ, तुम छुप-छुप जाना,
पल-पल का रूठना-मनाना।
पांव-बकईयां,उठना-गिरना,
उंगली थाम,डेग-डेग फिर चलना।
नन्हें हाथों,राखी  थामे,
मन-प्यारे लड्डू को मचलना।
याद आए वो प्यारी बहना।

रोली-चंदन-अक्षत बंधन,
भाई का करने अभिनंदन।
आस-निराश में डूबे नयना,
भैया कब आएंगे अंगना।
दिखी झलक प्यारे भैया की,
भर आए बहना के नैना।
याद आए वो प्यारी बहना।

लेखक परिचय : लेखक विजयानंद विजय बक्सर (बिहार)से बतौर स्वतंत्र लेखक होने के साथ-साथ लेखन में भी सक्रिय है |

 

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