इसके बावजूद अपने भाइयों की तरह, उसे न तो कभी वन्य प्राणियों का शिकार करना पसंद था, न ही उन्हें बंधक बनाकर उनका उपभोग करना पसंद था। राजकुमार का वास्तविक नाम तो कोई नहीं जानता था। लेकिन हष्ट पुष्ट स्वस्थ और अच्छी कद काठी के लिए राजकुमार को लोग ‘वनकुमार’ […]

निमाड़ की साहित्यिक धरोहर को संजोए रखने एवं उसका संवर्धन करने के लिए निर्माण की धरा पर साठ के दशक में माहिष्मती प्रकाशन की स्थापना को साकार करने वाले श्री बाबूलाल सेन की 11 वीं पुण्यतिथि पर उस महान साहित्य मनीषी को कोटि कोटि नमन करता हूँ।  अध्यात्म की इस […]

छत पर मेरे, बैठी चिड़िया माँगे मुझसे पानी रे।1। बून्द बून्द को तरसे आँगन झुलसे बाग बागानी रे। ताल तलया सूखे सब रीता आँख का पानी रे। बादल रूठे,रूंख पियासे रूठी बरखा रानी रे। काले मेघा भूल गए मग बिसरा चुल्लू पानी रे। छत पर मेरे ,बैठी चिड़िया माँगे मुझसे […]

तपती धरती पर नङ्गे पाँव अधजले शरीर पर अर्धनग्नता लिये हाँफती साँसों के साथ हाड़ो कि लड़ाई करता हूँ हर रोज जिंदगी जीने की हिम्मत करता हूँ तुम बैठे हो ए सी में कूलर में मैं धरती की गोद मे पसीना पोंछ रहा हूँ मैं रिक्शा चालक हूँ तुमसे  पूछ […]

सम्वेदनाओं का ज्वार यदि कविता का द्वार पा जाए तो उसकी अभिव्यक्ति व्यष्टि से समष्टि की ओर हो जाती है। जब भी मानव मात्र अपने मन के उहापोह ,अंतर्द्वंद ,अचेतन के सन्ताप व अधूरी इच्छाओ को प्रकट नही कर पाता या उनके लिए सुपात्र नही खोज पाता तो उसका सेतु […]

साहित्य यात्रा : धूप आंगन की , सात खण्ड में विभक्त एक ऐसा गुलदस्ता है जिसमें साहित्यिक क्षेत्र की विभिन्न विधाअो के फूलों की गंध को एक साथ महसूस करके उसका आनन्द लिया जा सकता है । भारतवर्ष की ख्यात लेखिका श्रीमति शशि पुरवार ने इस गुलदस्ते को आकार दिया […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।