खुशीयाँ दो

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sanjay
मेरी मुस्कराहट पर,
तुम्हें हंसी आती है।
मेरे दुख दर्द तुमको,
कभी देखते ही नहीं।
मेरा तो दिल करता हैं,
खुशी दू हर किसी को।
मैं अपने गम भूलकर,
तभी तो बाटता ख़ुशीयां।।
गमो की परवाह बिना,
सदा ही रहता हूँ प्रसन्न।
अब तुम ही बतलाओ,
मेरा क्या हैं इसमें दोष।
जब मुझको मिलती हैं,
शक्ति उस परवरदिगार से।
तो क्यो न भूल जाऊं मैं,
अपने सारे गमो को।।
समय कि पुकार को,
तुम समझो जरा लोगो।
प्रसन्नता ही जीवन का,
मूल आधार है लोगो।
तभी तो खुश रहो,
और खुशीयाँ बाटो तुम।
तुम्हारा जीवन सुखमय,
निकल जाएगा लोगो।।

#संजय जैन 

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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