हिन्दी गौरव अलंकरण समारोह 2024 सम्पन्न

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भाषाएँ और माताएँ अपने पुत्रों से सम्मानित होती हैं – प्रो. द्विवेदी

हिन्दी विश्व की तकनीकी मित्र भाषा – डॉ. विकास दवे

श्री मनोज श्रीवास्तव और प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय हिन्दी गौरव अलंकरण 2024 से विभूषित

देश के विभिन्न प्रान्तों से आए पाँच कवि काव्य गौरव अलंकरण से अलंकृत

इंदौर। हिन्दी भाषा के विस्तार और प्रसार की कड़ी में ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ द्वारा रविवार को स्थानीय गोल्डन जुबली हॉल, इन्दौर में समारोह में वरिष्ठ साहित्यिक संपादक मनोज श्रीवास्तव व वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय को हिन्दी गौरव अलंकरण से विभूषित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि लोकप्रिय सांसद शंकर लालवानी, अध्यक्षता साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन के निदेशक डॉ. विकास दवे एवं विशिष्ट अतिथि भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी व फ़िल्म अभिनेता अक्षय राजशाही मौजूद रहे।


समारोह में काव्य साधकों जिनमें ऋषभदेव से नरेन्द्र पाल जैन, लखनऊ से मनुव्रत वाजपेयी, सूरत से कवयित्री सोनल जैन और इंदौर से एकाग्र शर्मा व धीरज चौहान को काव्य गौरव अलंकरण भी प्रदान किया गया।
अतिथि स्वागत कीर्ति राणा, प्रदीप जोशी, डॉ. नीना जोशी, योगेश चन्देल, रमेश शर्मा, जयसिंह रघुवंशी, अंकित तिवारी ने किया एवं स्वागत उद्बोधन मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया। समारोह का संचालन श्रुति अग्रवाल ने किया व आभार कवि गौरव साक्षी ने माना। अलंकरण पत्र का वाचन अखिलेश राव व संध्या रॉय चौधरी ने किया।
प्रो. द्विवेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि ‘क्यों एक देश अपनी ज़ुबान में नहीं बोल सकता। आज भारतीयता की ओर भारत लौट रहा है। यह विचारों की घर वापसी है। हम अपनी संस्कृति, भाषा को सम्मानित होते देख रहे हैं और यह सत्य है कि भाषाएँ और माताएँ अपने पुत्रों से सम्मानित होती हैं।’


डॉ. दवे ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि ‘भाषा को लेकर लाखों उपसर्ग तैयार हुए, परंतु इन सबसे पार होते हुए हिंदी अब विश्व भाषा बन गई। और यहाँ तक कि हिंदी विश्व की तकनीकी मित्र भाषा है।’
अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि ’यह हिंदी का सम्मान मेरे लिए वन्दनीय है। भूतकाल में जो लोग अंग्रेज़ों के जूतों में पैर डालते हैं वे राजभाषा कहते हैं जबकि भारत की पहचान हिंदी है।’
इस तरह सम्मानमूर्ति प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि ‘इंदिरा घाटी से इंदिरा पॉइंट तक हिंदी मौजूद है। यह हिंदी का विस्तार है।’
इस मौके पर सूर्यकान्त नागर, डॉ. पद्मा सिंह, राकेश शर्मा, अश्विनी दुबे, श्वेतकेतु वैदिक , मार्टिन पिन्टो, सहित सैंकड़ो हिंदी में प्रेमी मौजूद रहे।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।