आजादी 70 साल की:क्या पाया गरीबों ने..

0 0
Read Time2 Minute, 53 Second

girija

गरीबी और साथ में दर्द,फिर भी लोग बनते हैं हमदर्द..जी हाँ,भारत के जीवन में आज हमें जब आजादी मिले हुए सत्तर वर्ष हो गए हैं तो भी,आज गरीब लोग अंग्रेजों वाले समय जैसा जीने को मजबूर हैं। मैं बहुत-से पिछड़े इलाको की बात कर रहा हूँ,
जहां लोग एक रोटी के लिए किसी के घर गुलामी कर रहे हैं। यह इलाके उत्तरप्रदेश से लेकर बिहार, बंगाल, आसाम और नक्सलवादी श्रेत्र भी हो सकते हैं। आज भी साहूकारों के कर्ज तले लोग दबे एवं गुलाम भी बने हुए हैं। आज गरीब कहीं सरकार के कर्ज में डूब चुका है,तो आत्महत्या कर लेता है या कुछ दंबगों द्वारा अपने परिवार की इज्जत को बचाने में जान दिए जा रहा है। आज भी गरीबों का वही हाल है। पहले हम राजाओं को जो कर(लगान)दिया करते थे,आज वही सरकार और माफियाओं को देना पड़ता है,बस फर्क इतना-सा ही है कि वह अनाज लेते थे और आज गरीब को अनाज के बदले पैसा,इज्जत और जान भी देनी पड़ती है। सोचिएगा, जरा इन गरीबों ने क्या खोया और क्या पाया है? बात कड़वी जरुर लग सकती है,लेकिन झूठ नहीं हो सकती है। समाज हित की बात आसानी से पचती भी कहाँ है। यह गरीब लोग लूटे जाते थे और आज भी लूटे जाते हैं। पहले अंग्रेजों और राजाओं दारा लूटे जाते थे,तो अब साहूकार आ गए हैं। जो लोग पहले भी दलाली के बल पर अमीर थे,गरीबों को लूटकर ही अमीर हैं। जो कुछ लोग अमीर नहीं थे,और !राजाओं के साथ थे,वह उनकी दलाली कर आज अमीर बने बैठे हैं। आज गरीब की कौन सुनता है,पहले इनको राजाओं के खेत में रोजगार हेतु मजदूर समझा जाता था,पर आज सरकार के वोट(मत)का बैंक हेतु बेहतरीन उपयोग किया जाता है सोचिएगा जरूर, कड़वी है पर सच्चाई है

                                                                #गिरजा शंकर सिंह ‘रिंटू’

परिचय : दिल्ली में १९९२में जन्मे गिरजा शंकर सिंह ‘रिंटू’ मूलतः किसान हैं। आपकी शिक्षा पॉलिटेक्निक(सिविल इंजीनियर)है। आप दिल्ली में रहकर ही एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल की युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। समाजसेवा के साथ ही विविध विषयों पर लिखते रहते हैं।

 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आपकी निजता,आपका अपना आसमान

Mon Apr 10 , 2017
मनुष्य की निजता (प्राइवेसी)उसकी सबसे बड़ी पूँजी है,सदैव एक सीमा रेखा खींकर रखिए। इस सीमा को लांघने से पहले हर कोई,चाहे वह आपके प्रियजन ही क्यों न हों, एकबार पूछने को विवश हों कि-क्या मैं इस सीमा के अन्दर प्रवेश कर सकता हूँ? और आप सामाजिक,परिवारिक पर्यावरण में भले ही […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।