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इस हिंदी से सीखा मैंने
माँ को कैसे बुलाऊँ
दादी को अपने मन का
कैसे हाल सुनाऊँ
इस हिंदी से सीखी मैंने
कहनी सारी बातें
बाबा से भी कहा इसी से
मुझे मिठाई ला दें
मैं नानी से सुन पाई
सीता राम की गाथा
इस हिंदी ने दिया सहारा
जब जब उर काँपा था
नन्ही उंगली ने सीखा था
हिंदी का “अ” अक्षर
नाना जी को सुनाई मैंने
हिंदी बाल कविता
भरने लगा ज्ञान का सागर
अब तक था जो रीता
फिर क्यों झूठी शान की खातिर
झूठे इस अभिमान की खातिर
अपनी माँ भाषा को छोड़कर
माँग कर शान बढ़ाई
अपनी भाषा को अपनी ही
नजरों में नीचे गिराई
खोटे सोने की चमक में देखो
हिंदी सी पारस मणि गँवाई।।
वन्दना शर्मा
अजमेर(राजस्थान)
मेरा नाम वन्दना शर्मा है मैं अजमेर से हूँ मेरा जन्म स्थान गंडाला अलवर है मेरी शिक्षा हिंदी में स्नातकोत्तर बी एड है मेरे आदर्श मेरे गुरु और माता पिता हैंलेखन और पठन पाठन में मेरी रुचि है नौकरी के लिए प्रयास रत हूँ। मेरी रचनाएँ कई पोर्टल पर प्रकाशित होती हैं मैं कई काव्य समूहों में सक्रिय हूँ । अभी मैं मातृभाषा पोर्टल से जुड़ना चाहती हूँ पोर्टल के नियमों के प्रति प्रतिबद्धता मेरी प्रतिज्ञा है वन्दन
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Thu Sep 13 , 2018
हे गौरी नंदन गणराज विघ्न मिटाओ हृदय विराजो सभी सुधारो काज सुख कर्ता हैं आप ज्ञान के दाता हैं शिव तनय गणपति पार्वती माता है हे देव गणेश लम्बोदर शंकर सुत मिटा मम क्लेश विशाल गज वेष तुम प्रथम पूज्य वंदन तुम्हारा मोदक पाओ आशीर्वाद अशेष देना है हे प्रिय […]