दोष आंखों का है ?

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sanjay
आंखों ने देखा तुम्हें और मन व्याकुल हुआ।
अंदर ही अंदर प्यार हमारा उमड़ पड़ा।
और दिल मेरा तुम्हें चहाने लगा।
अब तुम ही बताओ भला,
इसमें आंखों का क्या
दोष है ?
प्यार मोहब्बत को पढ़ ना आसान नहीं।
मोहब्बत की परिभाषा समझना बच्चों का खेल नहीं।
इस राह पर वो ही चल पाते हैं।
जिनके दिल इंसानियत के लिए मचलते हैं।।
हवाओं के झोंके से संदेशा मिलता है।
सावन के महीने में दिल
बहुत मचलता है।
 हल्की हल्की बारिश में, मिलने को दिल करता है।
क्या प्यार मोहब्बत में ऐसा कुछ होता है?
प्यार मोहब्बत में जीने वाले,
बहुत कम होते हैं।
जो इसमें जीते है,
 वो कांटो से डरते नहीं।
और अपनी मोहब्बत को परवान चढ़ाते है।
लाखो लोगों के बीच रहते हुए भी,
अपनी मोहब्बत को अमर कर जाते हैं।
और प्यार मोहब्बत की एक नई परिभाषा,
इतिहासकारों के लिए लिखने को छोड़ जाते है।छोड़ जाते है……।।

#संजय जैन 

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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