Read Time34 Second
उठ कवि, अपनी क़लम चला।
लिख दे तू सबका भला-भला।
अपावन को भी कर दे पावन,
दिखा जगत को अपनी कला।
क़लम की धार से कतर सर
अज्ञान का, काल कराल टला।
असि लेखनी बुद्धि रोशनाई,
किसने भला तुझको छला।
तू मानवता की सृष्टि कर दे,
अधर्म,अन्याय,अनीति जला।
दानवता का विध्वंस करने,
तू तीक्ष्ण शब्दों के तीर चला।
तू समर्थक सदा से सत्य का,
ये तेरा आचरण,सबको खला।
#मोहनलाल चन्देलकर
Post Views:
731