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रातों रात कैसे वो मालामाल हो गए
चापलूस है कोई यहां,दलाल हो गए
पाल रखे जिसने गुंडों की फौज को
गोश्त बटे और मुर्गे भी हलाल हो गए
गुनहगार जो रहें गिरफ्त में नहीं
उठ रहें फिर से कई सवाल हो गए
धक्का मुक्की खींचातानी चल रहीं
बातों- बातों में ही तो बवाल हो गए
बल्ले बल्ले वारे न्यारें और क्या कहें
मालदारों के घरों में धमाल हो गए
#किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट
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