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क्या जरूरी है
अहसासों को थाम लेना
क्या जरुरी है
रिश्तों को नाम देना
बताओ भँवरा किस नाम से पुकारता होगा
खुश रंग कलियों को
बताओ कलियाँ किस रिश्ते से पुकारती होगी
मनचले भँवरे को
क्या जरूरी है
हर सवाल के बरक्स एक जवाब खड़ा कर देना
क्या जरुरी है
हर भावना के आगे तर्क की किताब खड़ा कर देना
बताओ
धरती कैसे जवाब देती होगी
बीज को कि उसे क्यों मिटना है
उसे जबकि पौधा नहीं होना है
बताओ
बीज क्या जवाब देती होगी
पौधे को की उसे नागफनी क्यों होना पड़ा
उसने गुलाब की तरह उसे पैदा क्यों नहीं किया
क्या जरूरी है
हर सुन्दर पहाड़ को
कैमरे में कैद कर लेना
क्या जरूरी है
हर ख़ुशी को
कहीं दनादन पोस्ट कर देना
बताओ
मौसम कैसे खींचता होगा
वसंत में तमाम पुष्पघाटियों की तस्वीरें
बताओ
एक खुश कंठ कोयल कहाँ पोस्ट करती होगी
अपनी सरस स्वर गान की रिकार्डेड ऑडियो
लो अब तुम नाराज हो गए
यह कहने लगे
क्या जरुरी था
मेरी हर बात को कविता
में डाल कर
मेरी मिमिक्री करना
मैं बस यही कह पाऊंगा
हाँ यह जरुरी तो नहीं था
लेकिन मैं तुम्हारी मिमिक्री नहीं कर रहा था
तुम्हारे वजूद में अपनी
प्रतिछाया , प्रतिक्रया
तलाश रहा था
#गौतम कुमार सागर
परिचय : वरिष्ठ प्रबंधक के तौर पर गौतम कुमार सागर, वडोदरा(गुजरात) में बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत हैं। श्री सागर बीस वर्ष से हिन्दी साहित्य में लेखनरत हैं। अब तक २ एकल काव्य संग्रह,३ साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हैं तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशन होता रहता है। अखिल भारतीय स्तर पर निबंध,कहानी एवं आलेख लेखन में पुरस्कृत हुए हैं। अटलादरा(वडोदरा)में आपका निवास है।
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Sun Jul 7 , 2019
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