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मिलावट का बाजार लगे
लाला लगा धन कमाने में
सारी सामग्री दवाओं में लिपटी
जंग लग रही देश के होनहारो में।
बढती रासायनिक प्रयोग अब
सितम ढाने लगा
दाल रोटी साग सब्जी फल भी जबसे
रासायनिक प्रयोगो द्वारा उपजने लगा।
बढ़ते रोगो से इंसान वक्त से पहले ही
धरती से जाने लगा
पैदावार तो बढ़ रही पर
जिन्दगीयाँ सिमटने लगा
नये-नये नित रोगो का प्रचलन
जबतक पता चले घरो में मातम
जैविक और पुरानी पद्धति गायब हुई
रोज खुले अस्पताल फिर भी
रोगो से ही नई-नई आफत हुई।
कुछ नही है शुद्ध यहाँ अब
पानी भी मिले अब बोतलो में
हवा भरी जाये सेलेन्डरों में
विषैला ही मिलता है सब
घोटालो की बाजारों में।
फल सब्जी दाल में मिलावट
कैमिकलो की घोर खपत है
बैको में बैलेंस बढे पड़े हैं
खाकर उल्टा पुल्टा दाना
अस्पतालों में भीड बढने लगे हैं।
ऐसी आधुनिकता का क्या करोगे
जब शरीर से निरोग न रहोगे
शुद्धता की उपाय ढूँढो
रोज के आहारों में।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति
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