
धन्य तुम्हारा भारतवासी ,माटी सदा ऋणी रहेगी,
संघर्ष समय में सहयोग तुम्हारा सदा गुढी रहेगी,
घर में रह कर तुमने,निज कर्तव्यों का मान रखा,
धन्य तुम्हारा हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा,
माना सूरज डूब रहा,अँधियारा हमपे हावी है,
लेकिन हिम्मत हो तो, एक चींटी हांथी पे भारी है,
विकसित देश हुए पीछे,हमने अपना पहचान रखा है,
धन्य तुम्हारा हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा है,
करतल ध्वनि में कंपन, शंकर के डमरू वाली थी,
और विषाणु में भी बल सर्वस्व मिटाने वाली थी,
सरल नही था!लड़कर हमने अपना मान रखा है,
धन्य तुम्हारा हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा,
कुछ ईस्वर हैं जिनका ऋणी समूचा देश रहेगा,
वो पुलिस,सिपाही,या फिर कोई उपचारक का भेष रहेगा,
नमन हमारा उनको जिनने सबका ध्यान रखा,
धन्य तुम्हारा हे जन,जो जन-गण-मन का मान रखा,
# ️दिप्तेश तिवारी
परिचयनाम:-दिप्तेश तिवारीपिता :-श्री मिथिला प्रसाद तिवारी(पुलिस ऑफिसर)माता:-श्रीमती कमला तिवारी (गृहणी)शिक्षा दीक्षा:-अध्यनरत्न 12बी ,स्कूल:-मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रीवा परमानेंट निवास:-सतना (म.प्र)जन्म स्थल:-अरगट प्रकाशित रचनाए:-देश बनाएं,मैं पायल घुँगुरु की रस तान,हैवानियत,यारी,सहमी सी बिटिया,दोस्त,भारत की पहचान आदि।