कोहरे में कैद ज़िन्दगी

1 0
Read Time2 Minute, 31 Second

अभी- अभी ही संदेश आया-
‘ गुंजन विधवा हो गई’
इस खबर ने सुनहरे ख़्वाबों को
कोहरे- सा ढक लिया।
अभी – अभी मेरे सामने ही तो
उसका किसलय फूटा था
उसने गुलाबी लालिमा के साथ
इस दुनियावी आब को स्पर्श किया था
और अभी शंखध्वनि गूंजी
कि उसे सौंपा जा चुका
एक अनजान पुरुष को ताउम्र के लिए।
अभी तो उसकी अरुणाई निखरी भी नहीं थी
अभी तो दुधिया दाने सुगंध बिखेर ही रहे थे
अभी तो उसने जीवन महसूस भी नहीं किया
और अभी ही उसके प्रासाद में
दीमक का प्रवेश।
अपने सपनों को आंचल की कोर में बांधे
वह भले ही मां की देहली पार की
ससुराल की चौखट ने
उसे खुलने से पहले ही बिखेर दिया।
दारू का नशा व कुत्सित- वृत्ति का उबाल
उसका हर लम्हा नारकीय कर गया
अभी तो वह आयी थी यहां
अपनी देह पर उस हैवान की क्रूर- छाप लेकर
मां का विदा- उपदेश
वह अपनी आत्मा के मृत्योपरान्त भी निभा रही थी
परंतु अमानुषी जीवन- जंग में
वह ख़ुद ही हार गया।
अभी पता चला
उसकी कराह का हक भी छीन
कुछ आनुवंशिक क्रूर
उसकी सांसें भी खींच लिए।
अभी तो उसके बचपन का प्रभात
यौवन की चढ़ाई भी नहीं चढ़ा
कि उसका जीवन, बिन संध्या ही
तमिस्राधीन हो गया।
मेरी आंखों में वह पल
अब भी जिंदा है
जब पूरे स्कूल में उसकी दौड़ का
कोई सानी नहीं था
वह समय, जब पूरा गांव
उसकी प्रतिभा पर मुस्कुरा उठा था
विधायक ने ख़ुद पुरस्कार सौंप
यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया था
कितना सुखद था वह क्षण
जब उसके गले की मिठास
और पांवों की थिरकन ने
सभी को मोह लिया था।
अभी – अभी खंडित संसार व सूनी मांग
देखकर पूरा गांव
कातर हो उठा।
अब बाईस साल की गुंजन
दो बच्चों का भविष्य- भार थामे
दो साल से विधवा- जीवन ढोने को अभिशप्त है।

किसमत्ती चौरसिया
इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)

      

matruadmin

Next Post

जीवन में रस घोले हिन्दी

Wed Jun 24 , 2020
मन की गाँठें खोले हिन्दी। जीवन में रस घोले हिन्दी।। मैं भी बोलूँ, तुम भी बोलो। मन से जन-जन बोलें हिन्दी ।। जीवन में रस घोले हिन्दी। धरती बोले, अम्बर बोले। सरिता बोले, सागर बोले।। बूँद बोले, महासागर बोले। पवन बोले, सुमन बोले। झूम-झूम के ‘सावन’ बोले। मन का ताला […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।