झूठ-फरेब का दौर

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sushama malik

खत्म हुआ वक़्त इंसानियत का, झूठ-फरेब का चला दौर है!
सच्चाई को दबाने को, झूठी खबरों का सोशल साइट पर शोर है!!

अपनी गलती ढकने को लोग,  दूसरों पर झूठे इल्जाम लगाते हैं!
घर की बहन-बेटियों को, हथियार बनाने से भी नही कतराते हैं।!
जिस थाली में खाया उसी में छेद, फिर दूसरों को सांप बताते हैं!
वक़्त आता जब सामने आने का, तो किसी बिल में छिप जाते हैं!!

चिल्लाने से गलती नही ढकती, भले ही लोग कितने मुँहजोर हैं!
खत्म हुआ वक़्त इंसानियत का, झूठ-फरेब का चला दौर है!!

करो इंतजार वक़्त का प्यारे, भगवान की लाठी में आवाज नही!
निकल पड़े थे वो गायक बनने को, जिनके पास सुर साज नही!!
कल ना जाने की क्या होगा, जो आंख खुली उनकी आज नही!
“मलिक” ने आंखों देखा लिख दिया, इस बात में कोई राज नही!!

काले कारनामे किये जिन्होंने, अंधेरों से भरी उनकी भोर है!
खत्म हुआ वक़्त इंसानियत का, झूठ-फरेब का चला दौर है!!

#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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