
विनती करूं शीश नवाय के सुनो शारदे मांय,
लिखने में यदि भूल हुई हो, शीघ्र दीजे बताय,
शीघ्र दीजे बताय मेरी कविता हो अति सुन्दर,
अवगुण न होवे कभी इस कविता के अन्दर,
लिखे अकेला “दास”, अब आप ही हैं रक्षक,
विनती करूं हे मां! सहारा हों बन के तक्षक,
बक्सर पास सुरसरि, वहीं सुंदर एक धाम,
ताहि पश्चिम बसे भरौली,वही मेरो है गांव ,
उत्तर-पछिम है सिद्ध पीठ महादेव स्थाना,
दक्षिण छोर मां मंगला भवानी को जगजाना,
वहीं रहत हैं हम, नाम नहीं है जाना पहचाना,
इसीलिए अकेला नाम हमें पड़ा है अपनाना,
#राम बहादुर राय “अकेला”एम.ए.(हिन्दी, इतिहास ,मानवाधिकार एवं कर्तव्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार),बी .एड.मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार,बलिया (उत्तर प्रदेश)