. १
कड़वी सच्चाई कहूँ, कर लेना स्वीकार।
फाग राग ढप चंग बिन, होली है बेकार।।
. २
होली होनी थी हुई, कहँ पहले सी बात।
त्यौहारों की रीत को,लगा बहुत आघात।।
. ३
एक पूत होने लगे, बेटी मुश्किल एक।
देवर भौजी है नहीं, कित साली की टेक।।
. ४
साली भौजाई बिना, फीके लगते रंग।
देवर ढूँढे कब मिले, बदले सारे ढंग।।
. ५
बच्चों के चाचा नहीं, किससे माँगे रंग।
चाचा भी खाए नहीं, अब पहले सी भंग।।
. ६
बुरा मानते है सभी, रंगत हँसी मजाक।
बूढ़ों की भी अब गई, पहले वाली धाक।।
. ७
पानी बिन सूनी हुई, पिचकारी की धार।
तुनक मिजाजी लोग हैं,कहाँ डोलची मार।।
. ८
मोबाइल ने कर दिया, सारा बंटाढार।
कर एकल इंसान को,भुला दिया सब प्यार।।
. ९
आभासी रिश्ते बने, शीशपटल संसार।
असली रिश्ते भूल कर, भूल रहे घरबार।।
. १०
हम तो पैर पसार कर, सोते चादर तान।
होली के अवसर लगे, घर मेरा सुनसान।।
. ११
आप बताओ आपके, कैसे होली हाल।
सच में ही खुशियाँ मिली,कैसा रहा मलाल।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः