साहित्य समिधा (पद्य – गद्य संग्रह)

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manila kumari

पुस्तक समीक्षा

 पुस्तक का नाम- साहित्य समिधा (पद्य – गद्य संग्रह)
 मुख्य संपादक – श्रीमती ममता बनर्जी ‘मंजरी’
मुख्य वरिष्ठ संपादक – डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’
 प्रबंध संपादक –  डॉ अरुण कुमार ‘सज्जन’
 सर संपादक – डॉ अनुज कुमार
                    श्री अमिताभ प्रियदर्शी
                     डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव ‘अर्णव’                          डॉ रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी’ रत्ना
                     डॉ संगीता नाथ
                     डॉ मनीला कुमारी
उप संपादक –  श्री अरविंद कुमार
दीया प्रकाशन
 इस पुस्तक में देश के विभिन्न भागों के 52  विभिन्न प्रतिनिधि रचनाकारों के पद्य और गद्य का संग्रह किया गया है l इसमें विभिन्न रचनाकारों ने अपनी अनुभूतियों, विचारों, भावों,  रसों  और विधाओं के साथ साहित्य समिधा को प्रज्जवलित किया है l इस पुस्तक का शीर्षक बहुत ही सार्थक है, जो अपने नाम से ही अंदर के विषय को स्पष्ट करता है l पुस्तक का  बाह्य आवरण, पृष्ठों की गुणवत्ता, टाइपिंग की स्पष्टता बहुत अच्छी है l यह एक साझा संकलन पुस्तक है l इसमें भूमिका और संपादक की विचार के उपरांत अनुक्रमणिका दी गई है जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रथम खंड में परिचय एवं पद्य है और द्वितीय खंड में गद्य हैl  परिचय एवं पद्य खंड में सभी रचनाकारों का परिचय और पद्य संग्रह है l इस भाग में विविध विषय, विविध भाव, विविध छंद में रचित रचनाएं संग्रहित हैं, जो हर वर्ग के पाठक को अपनी और आकर्षित करता है l चाहे वह किसी भी उम्र समूह, व्यवसाय या वर्ग से संबंधित हो l
गद्य खंड में विविध विधाओं में रचित गद्य रचनाएं संकलित है इसमें कहानी,  निबंध,  आलोचना,  आलेख, यात्रा वृतांत, लघु कथा, लेख, संस्मरण, नाटक, महान व्यक्तित्व है l देश के विभिन्न क्षेत्रों के रचनाकारों की विविध विषय से संबंधित भावनाएं, अनुभूतियां, विचारधाराएं, संस्मरण, यात्रा वृतांत के रूप में संकलित है जिसे पढ़ना पूरे भारत को संक्षिप्त रूप में जानने जैसा है l
यह पुस्तक सच में देश भर के 52 हिन्दी  साहित्यकारों चाहे वे नवीन हो या वरिष्ठ को एक मंच पर लाने का महत प्रयास है l इतने रचनाकारों की रचनाओं को संकलित करने के क्रम में सम्पादकों या प्रकाशक के द्वारा गलती होना जाहिर सी बात है l कहीं – कहीं विराम चिह्न लगाने में त्रुटि,  कहीं शब्दों का हेर -फेर, तो कहीं रचनाओं के कुछ अंशों में बदलाव स्वभाविक है l इन पुस्तक के अवलोकन में शीर्षक, पृष्ठ सज्जा, टंकण की स्पष्टता, भावों के सम्प्रेषण को देखने पढ़ने के बाद यह  छोटी छोटी त्रुटियाँ नगण्य लगती हैं l
यह पुस्तक पाठकों के लिए एक ही मंच पर सभी प्रकार के भावों को जानने,  पद्य और गद्य के विभिन्न विधाओं से परिचित होने का अवसर प्रदान करता है l यह सच में एक अनूठा प्रयोग और प्रयास है l इससे पूर्व एक ही रचनाकार की विभिन्न विधाओं में रचित रचनाएँ एक ही पुस्तक में पढ़ने को मिल जाती थीं पर देश के विभिन्न क्षेत्रों और  विभिन्न वर्ग के रचनाकारों की  विविध विधाओं में हिन्दी रचनाएँ उपलब्ध कराना इस पुस्तक को महत्वपूर्ण बना देता है l
#डॉ मनीला कुमारी

परिचय : झारखंड के सरायकेला खरसावाँ जिले के अंतर्गत हथियाडीह में 14 नवम्बर 1978 ई0 में जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुआ। उच्च शिक्षा डी बी एम एस कदमा गर्ल्स हाई स्कूल से प्राप्त किया और विश्वविद्यालयी शिक्षा जमशेदपुर वीमेन्स कॉलेज से प्राप्त किया। कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में पत्र प्रस्तुत किया ।ज्वलंत समस्याओं के प्रति प्रतिक्रिया विविध पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। प्रतिलिपि और नारायणी साहित्यिक संस्था से जुड़ी हुई हैं। हिन्दी, अंग्रेजी और बंगला की जानकारी रखने वाली सम्प्रति ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में पदस्थापित हैं और वहाँ के छात्र -छात्राओं को हिन्दी की महत्ता और रोजगारोन्मुखता से परिचित कराते हुए हिन्दी के सामर्थ्य से अवगत कराने का कार्य कर रहीं हैं।

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