
कोरे कागज पर लिखने को लोग।
अपनी कहानियां छोड़ जाते है।
तभी तो लेखक कुछ लिख पाते है।
और लोगो जिंदगी के मायने बताते है।।
प्यार मोहब्बत से,
जीना चाहता हूँ।
आपकी बाहों में,
झूलना चाहता हूँ।
जब से दिल,
तुमसे लगा है।
जिंदगी जीने का,
अर्थ समझ आया है।।
न उम्मीद होकर भी,
उम्मीद से जिया हूँ।
प्यार मोहब्बत के लिए,
हर दिन तरसा हूँ।
पर अपनी उम्मीदों,
पर कायम रहा हूँ।
तभी तो तेरा प्यार,
हमे मिल पाया है।।
टूट जाते है सपने तब,
जब आत्मविश्वास न हो।
देख कर हालात तब,
छोड़कर चले जाते है।
और बीच मझधार में,
अकेला छोड़ देते है।
और हमारी जिंदगी में,
अंधेरा कर देते है।।
और लेखक को कोरे कागज पर,
लिखने को छोड़ देते है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)