शिक्षा का माध्यम मातृभाषाएँ

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gulab

मातृभाषा का मतलब है कि, माँ से सीखी और बोली जाती भाषा का नाम मातृभाषा है |
बालक जन्म के बाद पहली बार जो भाषा बोलता है, वो भाषा अपनी माँ की और उसकी मातृभाषा
है | माँ से ही वो मातृभाषा सीखता है | विश्व में ६००० से अधिक भाषाएँ है | भारत में करीब
६०० अधिक बोलियाँ है | भारत में हरेक प्रान्त की भाषा अलग अलग है, लेकिन, हिन्दी भाषी
प्रान्तों की संख्या ज्यादा है |
हमारे गुजरात में गुजराती भाषा के रूप में मातृभाषा गुजराती बोली जाती है | हमारे यहाँ
भाग्येश झा जो पहेले कलेक्टर भी थे, वो बताते है कि, मगन माध्यम यानि कि, मातृभाषा गुजराती
में शिक्षा ले कर मैं कलेक्टर बन सका था | मातृभाषा में शिक्षा लेने वाले बहुत सारे युवा अच्छे पद
पर काम कर रहे है | मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने से संस्कृति का जतन होता है, बच्चों को हर चीज
का नाम आसानी से पता चल जाता है | केवल अंग्रेजी में पढाई करने से बच्चों में संस्कृति का अभाव
रहने की संभावना ज्यादा रहती है | उसे अपनी संस्कृति की पहचान नहीं होती | में एक बार ट्रेन में
सफर कर रहा था तब एक युवा से बातचीत करने का मौका मिला | उस ने बताया कि में अंग्रेजी
माध्यम की मिलिट्री स्कूल में पढ़ रहा हूँ | मैंने उसे पूछा कि आप कहाँ से हो तो बताया कि, में केरल
से हूँ | मैंने पूछा की, “who is god Ayappa” ? उसने जवाब दिया कि, I don’t know | ये एक
उदाहरण है कि, अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में पढने वाले बच्चों को अपने प्रदेश की संस्कृति की
पहचान नहीं होती |
मातृभाषा में पढाई करने वाले बच्चे जयादातर बुद्धिमान होते है | हमारे देश की भाषा यानि
कि, हिन्दी है | भारत में हिन्दी भाषी राज्यों की संख्या ज्यादा है | भारतीय संस्कृति का जतन करने
में और देश के विकास के लिए कवि लोग, तुलसीदास, मैथिलि शरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर,
सुमित्रानन्दन पंत, प्रेमचंद, जगदीश गुप्त, हरिवंशराय बच्चन और अज्ञेय ने बहुत महत्वपूर्ण
योगदान दिया है | उन सभी ने राष्ट्रभाषा हिन्दी में देश की संस्कृति का जतन किया है | हमारा
धार्मिक साहित्य, गीता, भगवत आदि ग्रंथों ने भारतीय संस्कृति को उजागर कर के मानवीय
संस्कृति को निभाया है | देश के प्रति प्रेमभाव और विकास की दिशा दिखाई है | कुरान और बाइबल

जैसे धार्मिक ग्रंथों ने देश के लोगों को महानता प्रदान करने में और देश के विकास मैं अपना
महत्वपूर्ण योगदान दिया है | गुरुग्रंथ ने मजबूत मानव संस्कृति और देश भक्ति को बढ़ावा दिया है |
हमारे देश के प्रधानमंत्री, माननीय श्री नरेन्द्रभाई मोदीजी, जिन्हों ने मातृभाषा गुजराती में
ही शिक्षा प्राप्त की है, तब भी वो आज हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री है | उन्हों ने विश्व में अपने
राज्य गुजरात और भारत देश का नाम उजागर किया है, देश के विकास में अच्छा योगदान दिया है,
इस लिए भारत में वो सब से अधिक लोकप्रिय नेता है |
मातृभाषा में शिक्षा पाने से युवा नई दिशा प्राप्त करते है लेकिन, आज क्रेज हो गया है कि,
ज्यादातर लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दिलाते है | मेरे एक मित्र डोक्टर है, उसने
बताया कि, मैंने मेरे बच्चों को गुजराती माध्यम में पढाई के लिए दाखिला दिलवाया है | उसने
बताया कि, अगर मेरिट लाना है और मेडिकल में जाना है तो, मातृभाषा से ही अच्छा मेरिट आ
सकता है |
हिन्दी सम्मलेन, प्रयाग की ओर से ६९ वा हिन्दी साहित्य सम्मेलन नागपुर में २०१६ में
हुआ था | इस सम्मलेन में मेरा ये आलेख प्रस्तुत किया था, जो आयोजको और हिन्दी साहित्य
प्रेमियों को बहुत ही पसंद आया था | उसे “राष्ट्रभाषा संदेश” हिन्दी पत्रिका में प्रकाशित भी किया
गया था |
धन्यवाद,

गुलाबचंद एन. पटेल
कवि, लेखक, अनुवादक और
नशा मुक्ति अभियान प्रणेता,

#गुलाबचन्द पटेल

परिचय : गांधी नगर निवासी गुलाबचन्द पटेल की पहचान कवि,लेखक और अनुवादक के साथ ही गुजरात में नशा मुक्ति अभियान के प्रणेता की भी है। हरि कृपा काव्य संग्रह हिन्दी और गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ है तो,’मौत का मुकाबला’ अनुवादित किया है। आपकी कहानियाँ अनुवादित होने के साथ ही प्रकाशन की प्रक्रिया में है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन(प्रयाग)की ओर से हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मुंबई,नागपुर और शिलांग में आलेख प्रस्तुत किया है। आपने शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एवं राष्ट्रीय विकास में हिन्दी साहित्य की भूमिका विषय पर आलेख भी प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय(दिल्ली)द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में दार्जिलिंग,पुणे,केरल,हरिद्वार और हैदराबाद में हिस्सा लिया है। हिन्दी के साथ ही आपका गुजराती लेखन भी जारी है। नशा मुक्ति अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी दवारा भी आपको सम्मानित किया जा चुका है तो,गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने ‘धरती रत्न’ सम्मान दिया है। गुजराती में‘चलो व्‍यसन मुक्‍त स्कूल एवं कॉलेज का निर्माण करें’ सहित व्‍यसन मुक्ति के लिए काफी लिखा है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।