महिमा योग की

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himanshu gupta

युगों युगों से योग साधना कर युगीन योगीराज हुए ।

विश्वनाथ योग प्राण के व्याख्याता हो निर्विकार हुए ।

अतुलित बल पाकर विश्वामित्र महायोग से बलवान हुए।

शक्ति का अनुमान कठिन हो जायें जो योगसाधना से योगेश्वर हुए ।

यौगिक क्रियाओं से यौवन बना रहा ब्राह्मॠषी का।

ऊँ भूर्भुवः स्वाहा जाप किया और जीवन का अनुकरण किया।

ध्यान में लीन रहे वर्षों तक और मानव का उद्धार किया ।

किया योग मनोयोग से नारायण ने नर रूपी अवतार धरा।

यौगिक क्रियाओं से ही कौन्तेय का उद्धार किया।

किया समर्पण कृष्ण समक्ष जो तन मन और राग दिया।

युगों युगों से योगी सारस्वत रोग मिटा अनुराग दिया।

 

#गुप्त हिमांशु “प्रकृति से “

*परिचय *

नाम-    हिमांशु गुप्ता

साहित्यिक उपनाम- गुप्त हिमांशु “प्रकृति से”

वर्तमान पता- कानपुर (उत्तरप्रदेश)

शिक्षा-  स्नातक

कार्यक्षेत्र-  नौकरी

विधा – कविता; पद्य-गद्य—-  कविता,छंद(सभी),गज़ल,गीत,हाइकू,कहानियाँ, मुक्तक ,दोहे, व्यंग्य,नाटक  लघुकथा एवं संस्मरण एवं अन्य विधा।

सम्मान- कलम की यात्रा सम्मान प्रशस्ति पत्र सहित

अन्य उपलब्धियां- कलम की यात्रा में 
सदस्य- अधूरा मुक्तक,एवं संस्मय में सदस्य ।

लेखन का उद्देश्य- मन के अन्दर का भावनाओं को व्यक्त करते हुए लेखन  द्वारा आत्मसंतुष्टि आत्मसंतुष्टि प्राप्त करना।
लोगों तक अपने बात पहुँचाने के लिए अभिव्यक्ति करना

matruadmin

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