नीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
लहराती झोंके
बलखाती डाली
फूलों का खिलना
हवा का बहना
मानव का कल्याण करे
नीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
ऊँचे-वृक्ष और पहाडी
हर ओर हरियाली
नदी और नाले
प्रकृति को है प्यारे
जीवन का मार्ग प्रशस्त करे
नीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
धरती तो प्यारी
जगत दुलारी
हम सब की पालन हारी
नीले गगन के नीचे
हरी हरी हरियाली शोभा बढ़ाती
अपने आगोश में जीवन के
अंतिम दिनों में सुलाती
सबकी माता नाम से जानी जाती
ये तो हमेशा उपकार ही करे
नीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
जब तक है पौधे
तब-तक है सांसे
यह सबका कल्याण करे
कसी से न भेद-भाव करे
नीले गगन के तले
वृक्ष लगाकर बढें।।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति