शौचालय अपनाएं,स्वच्छ भारत बनाएं

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atul sharma
स्वस्थ अगर रहना है तन से,
सुबह सुबह में योग करें।
मर्यादा में रहना है तो,
शौचालय का प्रयोग करें।।
ना जाने कितनी बीमारी,
खुले शौच से होती हैं।
और घर की बहू बेटियां,
अपनी इज्जत होती हैं।।
मूंछों का ख्याल रखो तुम,
महिलाओं का मान रखो।
बेटी घर की इज्जत होती,
इतना भी तो ध्यान रखो।।
खुले शौच से बढ़े बीमारी,
कितने संकट हमने झेले हैं।
पोलियो ग्रस्त, हुए अपंग,
नौनिहाल मौत पर खेले हैं।।
मल, पग में भरकर मक्खी,
जब भोजन तक जाती है।
उल्टी,हैजा सी बीमारी का,
उपहार हमें दे जाती है।।
बलात्कार सी ओछी हरकत,
खुले शौच से होती थीं।
अब जानो-मानो-पहचानो तुम,
पिछली सरकारें सोती थीं ।।
सरकार अगर चेती है इतना,
अनुदान आपको मिलता है।
बारह हजार की राशि में तो,
बढ़िया शौचालय बनता है।।
आओ,उठो और आंखें खोलो,
निर्मल, धरती-आकाश करें।
आओ कदम से कदम मिलाकर,
दुष्प्रथा  का नाश करें।।
हम जागे हैं तुम भी जागो,
फिर संपूर्ण राष्ट्र जगायेंगे।
शपथ उठाएं हम इसकी अब,
घर- घर शौचालय बनाएंगे।।
तकदीर बदलने को भारत की,
हम सब मिल सहयोग करें।
संस्कार में रहना है तो,
अब शौचालय  प्रयोग करें।।

#अतुल कुमार शर्मा

परिचय:अतुल कुमार शर्मा की जन्मतिथि-१४ सितम्बर १९८२ और जन्म स्थान-सम्भल(उत्तरप्रदेश)हैl आपका वर्तमान निवास सम्भल शहर के शिवाजी चौक में हैl आपने ३ विषयों में एम.ए.(अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र,समाजशास्त्र)किया हैl साथ ही बी.एड.,विशिष्ट बी.टी.सी. और आई.जी.डी.की शिक्षा भी ली हैl निजी शाला(भवानीपुर) में आप प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैंl सामाजिक क्षेत्र में एक संस्था में कोषाध्यक्ष हैं।आपको कविता लिखने का शौक हैl कई पत्रिकाओं में आपकी कविताओं को स्थान दिया गया है। एक समाचार-पत्र द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है। उपलब्धि यही है कि,मासिक पत्रिकाओं में निरंतर लेखन प्रकाशित होता रहता हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को उजागर करना हैl

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  1. समाज में फैली कुरीतियों पर लिखना, कवि का धर्म है

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