गले कैसे मिलें भैया

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gopal

गले कैसे मिलें भैया,
जब पेट हो गए मोटे।

फोकट में दिल्ली लूटे,
जो सिक्के हैं खोटे।

सारे रिश्ते नाते हो गए,
आज के माहौल में छोटे।

अपराधी मौज कर रहे,
फरियादी खा रहे हैं सोटे।

रंग लगाने किसको जाएं,
लगाने से पहले हम सोचें।

नवरंगी हो हमारा हर पल,
ढूंढ रहे हम अक्सर मौके।

                                                                            #गोपाल कौशल

परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।

 

matruadmin

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