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बचपन का यार,
जवानी का प्यार…
बुढ़ापे का बुखार,
हमेशा दिल में रहते हैं।
चप्पल का काँटा,
और दुश्मन का चांटा…
सीधे दिल में चुभते हैं।
नोटों की पेटी,
और घर में बेटी…
किस्मत से मिलते हैं।
माँ की डांट-डपट,
और बाप के थप्पड़…
जीवन की राह सिखाते हैं।
नाना-नानी का दुलार,
दादा-दादी का प्यार…
हमेशा याद आएंगे।
उम्मीद जंग लगी,
नाकामी संग लगी…
बर्बाद कर देते हैं।
जुएँ की आदत,
और शराब की लत…
कहीं का नहीं छोड़ते।
खुश रहो सलामत रहो,
जी भर मुस्कुराओ।
पत्थरों का नहीं,
फूलों का घर बनाओ।
माना कि,आपका वक़्त कीमती है,
मगर दो पल बर्बाद कर लीजिए।
अनमोल तो हम भी बहुत हैं,
हमें भी कभी याद कर लीजिए !!
#रुपेश कुमार
परिचय : चैनपुर ज़िला सीवान (बिहार) निवासी रुपेश कुमार भौतिकी में स्नाकोतर हैं। आप डिप्लोमा सहित एडीसीए में प्रतियोगी छात्र एव युवा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। १९९१ में जन्मे रुपेश कुमार पढ़ाई के साथ सहित्य और विज्ञान सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन करते हैं। कुछ संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है।
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Sat Nov 11 , 2017
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