
नही होती सुंदरता
किसी के भी शरीर में।
ये बस भ्रम है
अपने अपने मन का।
यदि होता शरीर सुंदर
तो कृष्ण तो सवाले थे।
पर फिर भी वो सभी की आंखों के तारे थे।।
क्योंकि सुंदर होते है उसके कर्म और विचार में।
तभी तो लोग उसके प्रति आकर्षित होकर आते है।
वह अपनी वाणी व्यवहार और चरित्र से जाना जाता है।
तभी तो लोग उसे
अपना आदर्श बना लेते है।।
जो अर्जित किया उसने अपने गुरुओं से ज्ञान।
वही ज्ञान को वो
सुनता है दुनियां को।
जिससे होता है एक
सभ्य समाज का निर्माण।
फिर हर शख्स को ये दुनियां,
सुंदर लगाने लगती है।
इसलिए संजय कहता है, जमाने के लोगो से।
शरीर सुंदर नही होता
सुंदर होते है उसके संस्कार।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।