अमृता और रमेश दोनो दया-भाव से भरे थे।त्योहारों में मॉल से शॉपिंग के बजाए गरीब फेरीवाले से खरीददारी किया करते थे।
आज करवाचौथ का दिन था। अमृता ने फेरीवाले को बैठाकर रमेश को आवाज दिया-“रमेश! साड़ी पसंद कर दो जरा।”
रमेश-“अरे तुम्हें पहनना है, तुम हीं देख लो न!मुझे क्यों……?”
अमृता-“अच्छा छोड़ो।एक साड़ी बाई के लिए हीं पसंद कर दो।”
रमेश(झुंझलाते हुए)-“बाई………..? मतलब कुछ भी…..!यार! मजाक की भी हद होती है। उसकी सहायता मैं इसलिए करता हूँ क्योंकि उसके पति नही हैं, असहाय है बेचारी, इसका मतलब यह तो…….?और तुम भी तो कहती हो कि उसकी सहायता………?”
बीच मे हीं रोकते हुए अमृता बोली-“अरे रमेश चुप करो यार, साँस लो। तुम पति हो मेरे,समझती हूँ तुम्हें।तुम गलत समझ रहे हो एक्चूअली एक साड़ी करवाचौथ में सास को पहनानी होती है और माँजी तो पिछले साल………..।”
कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा दोनो एक-दूसरे को मुस्कुराती नजरों से एक टक देखे जा रहे थे कि बीच में किसी ने टोका-” बहनजी साड़ी पसंद कर लो।”
परिचय : नवीन कुमार साह बिहार राज्य के समस्तीपुर स्थित ग्राम नरघोघी में रहते हैं। श्री साह की जन्मतिथि १६ अप्रैल १९९४ है। दरभंगा (बिहार) से २०१५ में स्नातक (प्रतिष्ठा) की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही अभी बी.एड. जारी है। अध्यापन ही आपका पेशा है। वर्तमान सृजन (द्वितीय) विमोचनाधीन है। कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। आप छंद, लघुकथा व छंदमुक्त कविताएं लिखते हैं।