फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है

0 0
Read Time2 Minute, 31 Second

sushil

फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है,
जबसे शब्द कोषों में..
प्यार की परिभाषा बदल गई।

जबसे रंग भूल गए अपनी असलियत,
जबसे तुम्हारी मुस्कान कुटिल हो गई..
जबसे प्यार के खनकते स्वर कर्कश हो गए,
तबसे फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है।

जबसे रिश्तों में पैबंद लगने लगे,
जबसे प्रेम के स्वर मंद पड़ने लगे..
जबसे अयोग्यताओं का
आलिंगन होने लगा,
जबसे स्पर्श की आकांक्षाओं
का पालन होने लगा।

जबसे प्रेम की परिधियाँ,
टूटकर बिखरने लगीं..
जबसे घृणा की बेल बढ़ने लगी,
तबसे फागुन,अब मुझे नहीं रिझाता है।

जबसे कोई साथ देने का वादा तोड़ गया,
जब मेरा मन मुझे नितांत अकेला छोड़  गया..
जबसे शब्द अपने अनुबंधों से बिखरने लगे,
जब से आईने अपने प्रतिबिम्बों से मुकरने लगे..
तबसे फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है।

      #सुशील शर्मा

परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा साहित्य सम्मान-२०१६ सहित शिक्षा गौरव सम्मान-२०१६
एवं स्वर्ण प्रतिभा साहित्य सम्मान २०१७ भी मिल चुका है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

क्या आप जानते हैं हिन्दी से संबंधित अनूठी जानकारियाँ...?

Thu Mar 9 , 2017
क्या आप जानते हैं हिन्दी से संबंधित अनूठी जानकारियाँ…? यहाँ पर हिन्दी से सम्बन्धित सबसे पहले साहित्यकारों, पुस्तकों, स्थानों आदि के नाम दिये गये हैं।  हिन्दी में प्रथम डी. लिट् — डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल हिन्दी में  प्रथम एमए — नलिनी मोहन सान्याल (वे बांग्लाभाषी थे।) भारत में पहली बार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।